सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा और इनेलो के नापाक गठबंधन का भांडाफोड हो चुका है। उन्होंने कहा कि गोपाल कांडा ने रहस्योद्घाटन किया कि खटटर साहब की मेहरबानी व भाजपा+कांडा की मदद से अभय चौटाला के बेटे रानियां से विधायक बने। गोपाल कांडा के बयान से भाजपा और इनेलो के पर्दे के पीछे के घिनौने राजनीतिक षड्यन्त्र का पर्दाफाश हो गया है और सच्चाई हरियाणा की जनता के सामने आ गयी है। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि इनेलो को जब भी मौका लगा है उसने भाजपा की गोद में बैठने में एक पल की भी देरी नहीं की। इनके गुप्त गठबंधन और षड्यन्त्र ने किसानों, मजदूरों, नौजवानों समेत हर वर्ग के साथ धोखा किया है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में बहुत बड़ा राजनीतिक स्कैन्डल अंजाम दिया गया है। दीपेंद्र बोले- तीन सीटों पर गुप्त समझौता था कांग्रेस सांसद ने आगे कहा कि बीजेपी, इनेलो, जजपा, हलोपा में कोई फर्क नहीं है, ये सभी एक थाली के चट्टे बट्टे हैं। भाजपा ने हर चुनाव में इन्हीं बी-टीमों के सहारे मतदाताओं को धोखा दिया है। यही कारण है कि हरियाणा की राजनीति में इनेलो, जजपा, हलोपा का सफाया हो चुका है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि वे तो पहले से ही इस बात को लगातार कहते रहे हैं कि इनेलो भाजपा की पक्की कठपुतली है और विधानसभा चुनाव में इनेलो का भाजपा के साथ 3 सीटों का गुप्त समझौता था। एलनाबाद, डबवाली व रानिया विधान सभा सीट पर भाजपा इनेलो उम्मीदवारों के साथ थी और बाक़ी सभी सीटों पर इनेलो भाजपा के साथ। राज्यसभा चुनाव का भी दीपेंद्र ने जिक्र किया इसी तरह राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ वोट देने के लिए कुछ लोग बीजेपी से मिले हुए थे, जिसका खुलासा कुछ समय पूर्व हुआ था और आज एक और सच जनता के सामने आ गया। इस तरह के षड्यन्त्रकारियों के कारण ही बीजेपी सत्ता पर काबिज हुई, जबकि हरियाणा की जनता सत्ता परिवर्तन चाहती थी। INLD ने सत्ता पक्ष को हमेशा खुश किया सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने याद दिलाया कि 2014 में इनेलो की 20 सीट आयी थी, लेकिन 2019 के चुनाव में इनेलो 20 से घटकर 1 पर आ गई। क्योंकि इनेलो ने 5 साल तक विपक्ष की भूमिका निभाने की बजाय सत्ता पक्ष को खुश करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। जब और जहां मौका लगा इनेलो ने बीजेपी का समर्थन किया। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी द्वारा हरियाणा की भाजपा सरकार के विरुद्ध लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के हक में वोट न डालना पड़े, इसलिये अभय चौटाला ने अपनी एकमात्र सीट से इस्तीफा दिया। अगर अभय चौटाला का इस्तीफा न होता और कालका विधानसभा सीट खाली न हुई होती तो तत्कालीन खट्टर सरकार खतरे में आ जाती। क्योंकि, कुछ आजाद विधायक बीजेपी सरकार के खिलाफ वोट करने के लिए तैयार थे।
HLP चीफ कांडा के खुलासे पर कांग्रेस MP बोले:बोले- INLD-BJP के गठबंधन का भंडोफोड़ हुआ; कांडा की मदद से अभय के बेटे MLA बने
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