No Indians Allowed Entry: जिस क्लब के दरवाजे कभी सिर्फ अंग्रेजों के लिए खुले रहते थे और जहां ‘Indians Not Allowed’ की बात होती थी. अब वही क्लब दिल्लीवालों के लिए एक नई पहचान बनकर लौट आया है. इतिहास के पन्नों से निकलकर यह क्लब अब हर उस शख्स का स्वागत करने को तैयार है, जो विरासत, आधुनिकता और लग्जरी को एक साथ जीना चाहता है. हम बात कर रहे हैं 100 साल पुराने रोशनआरा क्लब की, जिसे अब दिल्ली विकास प्राधिकरण ने संवारकर फिर से आम लोगों के लिए खोल दिया है.
दिल्ली के सबसे पुराने और ऐतिहासिक क्लबों में गिने जाने वाला रोशनआरा क्लब, जो कभी अंग्रेजों के लिए आरक्षित था और भारतीयों को प्रवेश की अनुमति नहीं थी. लेकिन अब एक भव्य और आधुनिक अवतार में वापस लौट आया है. लगभग दो सालों तक चले सुधार के बाद ृयह क्लब आधिकारिक तौर पर जनता के लिए खोल दिया गया है.
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इतिहास के बारे में जानिए…
15 अगस्त 1922 को स्थापित हुआ यह क्लब पहले ब्रिटिश अधिकारियों के लिए एक सोशल और रिक्रिएशनल हब हुआ करता था. इसे मुगल सम्राट शाहजहां की बेटी बेगम रोशनआरा के नाम पर बनाया गया था. इसी क्लब में भारतीय क्रिकेट प्रशासकों की पहली बैठक हुई थी.
क्लब में क्या-क्या बदला
DDA के अनुसार, क्लब की विरासत को सहेजते हुए बहुत कुछ बदलाव किया गया है
यूरोपीय डिजाइन की पुरानी खिड़कियां और दरवाजे बदले गए हैं
मैंगलोर-टाइल्स से बनी छत का बदलाव
लकड़ी की खूबसूरत छत बना दी गई है
पुराने झूमर और फर्नीच, इन सभी को पहले जैसा रखा गया है, लेकिन नए रंग-रूप में सजाया गया है.
सुविधाएं क्या-क्या मिलेंगी
मुख्य लॉन्ज
कार्ड रूम, बिलियर्ड्स रूम
बार और डाइनिंग हॉल
लाइब्रेरी
जिम और बैडमिंटन कोर्ट
स्विमिंग पूल
योग, सॉना और स्टीम रूम
घास और टेनिस कोर्ट
क्रिकेट ग्राउंड
फुटबॉल जोन
बास्केटबॉल एरिया
जॉगिंग ट्रैक
फीस और सदस्यता
अब तक DDA की ओर से सदस्यता शुल्क को लेकर आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा है कि, यह क्लब अब आम नागरिकों के लिए भी सदस्यता योग्य होगा, जो पहले सिर्फ खास लोगों के लिए हुआ करता था.
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