ISRO-NASA की ऐतिहासिक सफलता, अंतरिक्ष की तय कक्षा में पहुंचा NISAR सैटेलाइट, जानें क्या देगा जानकारी?

by Carbonmedia
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भारत के श्रीहरिकोटा से ISRO के GSLV Mk II रॉकेट के जरिए NISAR  को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था. अब NISAR सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में अपनी तय कक्षा में पहुंच गया है. GSLV Mk II रॉकेट के जरिए लॉन्च किए गए इस उपग्रह ने सभी चरणों को सफलतापूर्वक पार करते हुए लगभग 18 मिनट में 747 किलोमीटर ऊंचाई वाली सूर्य-समकालिक कक्षा (Sun-Synchronous Orbit) हासिल कर ली. 
अब यह उपग्रह अंतरिक्ष में स्थिर होकर धरती का नियमित चक्कर लगाएगा और हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी की सतह की बारीकी से निगरानी करेगा. इसके जरिए मिलने वाला डेटा भारत और पूरी दुनिया के लिए पर्यावरण, जलवायु, खेती और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में बेहद उपयोगी है. यह मिशन भारत के लिए एक बड़ी वैज्ञानिक छलांग मानी जा रही है.
भारत के लिए क्यों खास है NISAR?
भारत में हर साल प्राकृतिक आपदाएं, बाढ़, सूखा, भूकंप, और फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले मौसमी बदलाव बड़ी समस्याएं हैं. NISAR इन सभी को पहले से समझने और समय रहते कदम उठाने में मदद करेगा. अब भारत को मौसम, फसल, जंगलों और तटीय इलाकों की सटीक और ताजा जानकारी सीधे अंतरिक्ष से मिलेगी.
ISRO और NASA ने मिलकर इस मिशन को बनाया, लेकिन इसकी लॉन्चिंग, नियंत्रण और उपयोग भारत की जमीन से ही होगा. भारत इस डेटा का उपयोग कृषि योजनाओं, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी और ग्रामीण विकास में करेगा.
ISRO की भूमिका और उपलब्धियां
ISRO ने इस मिशन के लिए S-बैंड रडार, उपग्रह का ढांचा (सैटेलाइट बस) और GSLV Mk II लॉन्च रॉकेट तैयार किया. लॉन्च भारत में ही हुआ और उपग्रह का नियंत्रण भी ISRO और NASA दोनों मिलकर करेंगे. ISRO ने यह साबित किया है कि वह अब केवल सैटेलाइट बनाने तक सीमित नहीं, बल्कि वैश्विक साझेदारी में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
भारत को क्या-क्या मिलेगा NISAR से?
1. खेती-किसानी की मददफसल कैसी बढ़ रही है, जमीन में नमी कितनी है, बारिश का असर कहां तक हुआ है, ये सब अब अंतरिक्ष से पता चलेगा. इससे किसानों को सीधी मदद मिलेगी.
2. भूकंप और भूस्खलन की चेतावनीजमीन में मामूली हलचल को भी NISAR पकड़ सकता है, जिससे समय रहते खतरे का अनुमान लगाया जा सकता है.
3. जलवायु और पर्यावरण पर नजरहिमालय के ग्लेशियर, जंगलों की कटाई और समुद्री तटों का बदलता रूप, इन सभी की निगरानी अब आसान और सटीक हो जाएगी.
4. आपदा प्रबंधन में तेजीबाढ़, सूखा, या समुद्री तूफान जैसे हालात में NISAR का डेटा तेजी से सरकार और स्थानीय प्रशासन को मिलेगा, जिससे तुरंत एक्शन लिया जा सकेगा.
NISAR हर 12 दिन में धरती के हर हिस्से की एक बार निगरानी करेगा. इसका रडार इतना ताकतवर है कि यह 1 सेंटीमीटर की भी हलचल को पकड़ सकता है. यह मिशन भारत-अमेरिका की अब तक की सबसे बड़ी साझा अंतरिक्ष परियोजनाओं में से एक है.
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