केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) की ओर से जम्मू-कश्मीर राजस्व (अधीनस्थ) सेवा भर्ती नियम 2009 के प्रासंगिक प्रावधानों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गई है, जिसमें नायब तहसीलदार के पद के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में उर्दू के ज्ञान के साथ स्नातक होना अनिवार्य है. इसके बाद कैट के आदेश का हवाला देते हुए जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (JKSSB) ने मंगलवार को राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया स्थगित कर दी. इस मामले पर पीडीपी की नेता इल्तिजा मुफ्ती की प्रतिक्रिया आई है.
इल्तिजा मुफ्ती ने कहा है कि उर्दू को हटाने का कैट का हालिया फैसला न केवल हमारी पहचान पर हमला है, बल्कि हमारी भावनाओं को भी ठेस पहुंचाता है. उन्होंने कहा कि ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि यह जम्मू-कश्मीर में पहले से ही बेरोजगारी से जूझ रहे हमारे बेचैन युवाओं के भविष्य को खतरे में डालता है.
कैट का फैसला मायूस करने वाला- इल्तिजा मुफ्ती
उन्होंने कहा, “हाल ही में उर्दू को लेकर कैट का फैसला मायूस करने वाला है. हर एक चीज को मजहब के नजरिए से देखना हमारी पहचान पर हमला है और इसके साथ ही युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है.”
इल्तिजा ने कहा कि उर्दू की पैदाइश हिंदुस्तान में ही हुई है और जम्मू-कश्मीर से इसका रिश्ता सदियों से है. इसे राजा-महाराजाओं के दौर से ऑफिशियल भाषा करार ठहराया गया था. तब से कागजी कार्रवाई उर्दू में ही होती रही है. इस वजह से कुछ नौकरियों में उर्दू का जनना जरूरी है. लेकिन, आज इस जबान को हिंदू-मुस्लिम के नजरिए से देखा जा रहा है और इसे खत्म करने की कोशिश हो रही है.
CATs recent decision to drop Urdu is an attack not only on our identity but also hurts our sentiments & more importantly endangers the future of our restive youth already grappling with unemployment across J&K. Hope better sense prevails. pic.twitter.com/GzimtiIUZq
— Iltija Mufti (@IltijaMufti_) July 18, 2025
बता दें कि कैट का यह आदेश ऐसे समय में आया है, जब नायब तहसीलदार भर्ती परीक्षा में उर्दू को अनिवार्य भाषा बनाने के पूर्व के आदेश से पिछले महीने जम्मू क्षेत्र में आक्रोश फैल गया था.