जम्मू-कश्मीर में नायब तहसीलदार पद के लिए उर्दू भाषा को अनिवार्य बनाने वाले सरकार के आदेश पर केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) ने रोक लगा दिया है. इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने स्वागत किया है.
सोमवार को BJP विधायी दल ने सिविल सचिवालय और विधानसभा के सामने धरना दिया और इस फैसले को ‘संविधान और समानता की जीत’ बताया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, BJP के वरिष्ठ नेता और उच्च न्यायालय के वकील आर. एस. पठानिया ने कहा, “यह गैरकानूनी और भेदभावपूर्ण आदेश था, जिसे रोक कर CAT ने न्याय किया है।”
CAT ने 5 आधिकारिक भाषाओं के ऑप्शन का दिया निर्देश
CAT ने जम्मू-कश्मीर सेवा चयन बोर्ड (SSRB) को निर्देश दिए कि वे नायब तहसीलदार पद के लिए उन अभ्यर्थियों के आवेदन भी स्वीकार करें जिनके पास हिंदी, कश्मीरी, अंग्रेजी, डोगरी या उर्दू- इन 5 आधिकारिक भाषाओं में किसी एक का ज्ञान है. इस फैसले से अब सभी पात्र उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं, चाहे उनकी भाषायी योग्यता कोई भी हो. बीजेपी विधायक ने कहा, “अब किसी एक भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं होगा, यह सभी उम्मीदवारों के लिए अच्छी खबर है.”
संविधान का उल्लंघन है उर्दू की अनिवार्यता- याचिकाकर्ता
इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव शर्मा और अधिवक्ता अभिराश शर्मा ने दलील दी कि उर्दू को अनिवार्य बनाना संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन है, क्योंकि यह समानता और गैर-भेदभाव के सिद्धांतों के विरुद्ध है. इस पर CAT की पीठ जिसमें सदस्य (प्रशासनिक) राम मोहन जौहरी और सदस्य (न्यायिक) राजिंदर सिंह डोगरा शामिल थे ने आदेश दिया कि अगले चार सप्ताह में उत्तरदाताओं को अपना जवाब दाखिल करना होगा.
13 अगस्त को अगली सुनवाई
CAT ने इस आदेश के तहत सभी पक्षों को नोटिस जारी कर 13 अगस्त को अगली सुनवाई की तिथि तय की है. BJP नेताओं ने जोर देते हुए कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार का यह आदेश न केवल राजनीतिक रूप से प्रेरित था बल्कि यह भाषायी आधार पर अन्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय भी था. पार्टी ने इस कदम को संविधान की भावना के खिलाफ बताया और दावा किया कि उनकी कानूनी लड़ाई ने एक महत्वपूर्ण मोड़ पर न्याय सुनिश्चित किया है.
Jammu-Kashmir: CAT ने लगाई उर्दू अनिवार्यता पर रोक, BJP ने किया स्वागत, 13 अगस्त को अगली सुनवाई
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