Jharkhand: ‘जाओ दिल्ली, प्रदर्शन करो, हम कुछ नहीं कर सकते’, शिक्षा मंत्री और छात्रों में बहस का वीडियो वायरल

by Carbonmedia
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झारखंड में नई शिक्षा नीति को लेकर छात्राओं का गुस्सा सातवें आसमान पर है. बुधवार (9 जुलाई) को जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन ऑडिटोरियम के बाहर उस वक्त माहौल गरमा गया जब छात्राओं ने झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन को घेर लिया. 
छात्राओं का आरोप है कि जब उन्होंने अपनी समस्याएं मंत्री के सामने रखीं तो उन्होंने दिल्ली जाकर प्रदर्शन करने की बात कही. इस टिप्पणी से नाराज होकर छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और मंत्री के जवाब पर असंतोष जताया.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, झारखंड में लागू की जा रही नई शिक्षा नीति के तहत 12वीं की पढ़ाई कॉलेजों से हटाकर स्कूलों में शिफ्ट की जा रही है. इससे छात्राएं खासा नाराज हैं. उनका कहना है कि वे फिलहाल कॉलेज में 12वीं की पढ़ाई कर रही हैं और बीच में संस्थान बदलना उनके लिए मानसिक व शैक्षणिक रूप से हानिकारक हो सकता है. छात्राओं ने शिक्षा मंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें मांग की गई कि उन्हें उसी कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई पूरी करने दी जाए.

सर, 12वीं पूरी होने दो, कॉलेज बंद मत करो !शिक्षामंत्री – जाओ दिल्ली जाकर प्रदर्शन करो ।छात्र – तो अब दिल्ली जाना होगा ? आप क्या करोगे ?मंत्री – चिंता मत करो।छात्र – चिंता कैसे न करें ? 2 महीने से कॉलेज बंद हैं !कहीं तो ज़िम्मेदारी निभाओ साहब !📍 Jamshedpur pic.twitter.com/pH8EETNhxF
— ashokdanoda (@ashokdanoda) July 9, 2025

क्या है छात्रों का तर्क?
छात्राओं का यह भी तर्क है कि नई शिक्षा नीति को वर्ष 2026 से लागू किया जाना चाहिए, ताकि वर्तमान सत्र के छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई बिना किसी व्यवधान के पूरी कर सकें. छात्र नेता हेमंत पाठक ने कहा कि छात्रों को यह स्पष्ट नहीं बताया गया है कि उन्हें किस स्कूल में ट्रांसफर किया जाएगा. इससे उनका भविष्य अधर में लटक सकता है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बिना तैयारी के नई नीति थोप रही है.
बवाल के बाद शिक्षा मंत्री ने दिया आश्वासन
वहीं, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने छात्राओं को आश्वस्त किया कि उनकी पढ़ाई बाधित नहीं होगी और इस मुद्दे का समाधान प्रशासनिक स्तर पर खोजा जाएगा. हालांकि, छात्र संघों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई ठोस फैसला नहीं लिया गया तो वे राज्यभर में आंदोलन शुरू करेंगे. उनका कहना है कि छात्रों को एडमिशन और भविष्य को लेकर गंभीर संकट का सामना करना पड़ रहा है.

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