Maharashtra Ladaki Bahin Yojana: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ पर बड़ा बयान दिया है. उनके बयान से राजनीति गलियारों में हलचल मच गई है. उन्होंने सोमवार (2 जून) को कहा कि ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के तहत सभी महिलाओं को बिना पर्याप्त जांच के आर्थिक लाभ देना सरकार की ‘गलती’ थी.
अजित पवार ने कहा, “हमसे गलती हुई कि हमने सभी महिलाओं को लाभ दे दिया. उस समय हमारे पास पात्र-अपात्र की छानबीन करने का समय नहीं था, क्योंकि 2-3 महीनों में चुनाव घोषित होने वाले थे.”
कब शुरू हुई थी लाडकी बहिन योजना?
यह योजना अगस्त 2024 में शुरू की गई थी, जिसमें 21 से 65 वर्ष की आयु की उन महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक सहायता देने का प्रावधान था, जिनकी सालाना आय 2.5 लाख रुपये से कम है. योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सशक्त बनाना था, लेकिन जांच में हजारों अपात्र लाभार्थी सामने आए, जिनमें 2,289 सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं.
हालांकि, अजित पवार, जो राज्य के वित्त मंत्री भी हैं, ने साफ किया कि जिन महिलाओं को राशि मिल चुकी है, उससे सरकार वापस पैसा नहीं लेगी. उन्होंने कहा, “हमने अपील की थी कि केवल पात्र महिलाएं ही आवेदन करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.”
शिवसेना-UBT ने अजित पवार को घेरा
अजित पवार की इस स्वीकारोक्ति के बाद विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी. शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया कि यह सार्वजनिक धन का दुरुपयोग है और अजित पवार को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए. राउत ने कहा कि यह ‘सरकारी खजाने की लूट’ थी, जिसे वोट पाने के इरादे से अंजाम दिया गया.
वहीं, राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिती तटकरे ने हाल ही में जानकारी दी कि लगभग 2 लाख आवेदनों की जांच के बाद 2,289 अपात्र सरकारी कर्मचारियों को योजना से बाहर किया गया है. उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा कि इस तरह की छानबीन आगे भी जारी रहेगी.
1,500 की राशि को 2,100 रुपये तक बढ़ाना संभव नहीं- संजय शिरसाट
लाडकी बहिन योजना को नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन की सफलता से जोड़ा गया, लेकिन अब यह योजना सरकार के बजट पर बोझ बन गई है. सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने कहा कि 1,500 की राशि को 2,100 रुपये तक बढ़ाना संभव नहीं है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि सरकार को यदि जरूरत पड़ी तो कर्ज लेकर योजना जारी रखेगी.
शिरसाट ने यह भी आरोप लगाया कि वित्त विभाग ने उनके मंत्रालय से 7,000 करोड़ रुपये का बजट बिना सूचना के काट लिया. उन्होंने मांग की कि भविष्य में सामाजिक न्याय जैसे मंत्रालयों के बजट की रक्षा के लिए कानून बनाया जाए. सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार लाभार्थियों को आय और निवास प्रमाण देना होता है और बैंक खाता आधार से लिंक होना चाहिए.