महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के एक मठ में रह रही 36 वर्षीय हथिनी ‘महादेवी’ एक भावुक माहौल में विदाई के बाद आज जामनगर पहुंचेगी. गुजरात के जामनगर स्थित राधे कृष्ण एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट अब महादेवी का नया ठिकाना होगा. जो वंतारा नाम के पशु कल्याण केंद्र चलाता है.
कोर्ट के आदेश के बाद हुआ स्थानांतरण
यह स्थानांतरण बॉम्बे हाई कोर्ट के एक अहम फैसले और फिर सुप्रीम कोर्ट द्वारा उस पर मुहर लगाने के बाद हुआ. दरअसल, हाई कोर्ट ने हथिनी के ‘गुणवत्तापूर्ण जीवन के अधिकार’ को प्राथमिकता दी और कहा कि धार्मिक आयोजनों में हाथी का उपयोग उसके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि कोल्हापुर स्थित ट्रस्ट के पास रहते हुए महादेवी की मानसिक और शारीरिक हालत बिगड़ गई थी. रिपोर्टों के मुताबिक, उसके शरीर पर अल्सर जैसे गंभीर घाव भी पाए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की ट्रस्ट की याचिका
कोल्हापुर के जिस मठ में महादेवी रह रही थी, उन्होंने हाई पावर कमेटी (HPC) के निर्देशों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया. HPC की रिपोर्ट में बताया गया था कि हथिनी को बेहतर देखभाल, भोजन, आश्रय और सामाजिक माहौल की सख्त जरूरत है.
गांव वालों की आंखें हुईं नम
कोल्हापुर के नंदनी गांव में मठ के श्रद्धालुओं और आसपास के ग्रामीणों ने महादेवी को विदाई दी. ग्रामीणों के लिए यह एक भावनात्मक क्षण था, क्योंकि उन्होंने कई वर्षों से महादेवी के साथ एक खास रिश्ता बना लिया था. लोगों ने पूजा-पाठ के बाद हथिनी को आशीर्वाद दिया और नम आंखों से विदा किया.
आज 30 जुलाई को पहुंचेगी नए घर
महादेवी को पशु एम्बुलेंस के जरिए जामनगर ले जाया जा रहा है और वह आज 30 जुलाई को नए केंद्र में पहुंच जाएगी. ट्रस्ट का दावा है कि वहां उसे प्राकृतिक माहौल, डॉक्टरों की निगरानी और अन्य हाथियों का साथ मिलेगा, जिससे उसका जीवन बेहतर हो सकेगा.
PETA की शिकायत से शुरू हुई थी कार्रवाई
इस पूरे मामले की शुरुआत ‘पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (PETA) इंडिया’ की एक शिकायत से हुई थी. उन्होंने महादेवी की खराब हालत को लेकर सरकार और न्यायालय का ध्यान खींचा. इसके बाद जांच हुई और HPC ने हथिनी को वेलफेयर ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया.
1992 से ट्रस्ट के पास थी महादेवी
कोल्हापुर स्थित मठ का कहना था कि वह 1992 से हथिनी की देखभाल कर रहा है और धार्मिक आयोजनों में उसकी मौजूदगी एक परंपरा रही है. लेकिन अदालत ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी परंपरा को जानवर के स्वास्थ्य से ऊपर नहीं रखा जा सकता.
अब उम्मीद है बेहतर जिंदगी की
जामनगर पहुंचने के बाद महादेवी की देखभाल का पूरा जिम्मा राधे कृष्ण एलिफेंट वेलफेयर ट्रस्ट के पास होगा. विशेषज्ञों की टीम उसकी सेहत पर नजर रखेगी और उसे एक ऐसा माहौल मिलेगा जहां वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकेगी.
Maharashtra: कोल्हापुर में मठ की शान रही हथिनी ‘महादेवी’ आज पहुंचेगी गुजरात के जामनगर, क्यों हुआ ये फैसला?
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