Maharashtra: मनोज जरांगे का मुंबई मार्च तय, मंत्री बावनकुले ने दी चेतावनी- ‘आंदोलन करें लेकिन…’

by Carbonmedia
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महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर एक बार फिर माहौल गर्मा गया है. मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे ने ऐलान किया है कि वे गणेशोत्सव के पहले दिन, बुधवार को मुंबई कूच करेंगे और राजधानी में अनशन पर बैठेंगे. इस बीच राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने जरांगे को सख्त चेतावनी दी है कि वे आंदोलन करें, लेकिन भड़काऊ और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल न करें.
महिलाओं और परिवार पर टिप्पणी बर्दाश्त नहीं- बावनकुले
बावनकुले ने साफ कहा कि आंदोलन करना सबका अधिकार है, लेकिन व्यक्तिगत हमले और गाली-गलौज कतई बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे.
उन्होंने कहा, “3.17 करोड़ वोटों और 51% से ज्यादा जनादेश के साथ चुनी गई सरकार को गिराने की बात करना खीज पैदा करने वाला है. महाराष्ट्र व्यक्तिगत हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा. खासकर हमारी माताओं-बहनों और नेताओं के परिवारों पर आपत्तिजनक टिप्पणी स्वीकार नहीं की जाएगी.”
बावनकुले ने कहा कि सरकार किसी की आवाज दबाना नहीं चाहती और हर किसी को आंदोलन करने की आजादी है. लेकिन उन्होंने दोहराया कि आंदोलन शालीनता और मर्यादा के दायरे में होना चाहिए. धमकी और अपमानजनक शब्द महाराष्ट्र की संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं. मुद्दों को धैर्य और संवाद से ही सुलझाया जा सकता है.
फडणवीस के प्रयासों की तारीफ
राजस्व मंत्री ने मराठा आरक्षण पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा कि फडणवीस ने दिन-रात इस मुद्दे का अध्ययन किया, कानूनी सलाह ली, सामाजिक-आर्थिक सर्वे कराया और मराठा समाज को आरक्षण देने का कानून बनाया. इस कानून को विधानसभा और हाईकोर्ट से मंजूरी भी मिली थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया.
बावनकुले ने कहा, “फडणवीस ने मराठा समाज के लिए अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा दी थी.”
मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि महायुति सरकार मराठा समाज को न्याय दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. “हमारी सरकार कमजोर नहीं है, बल्कि मजबूत है. मराठा समाज को जो भी न्याय देना होगा, वह हमारी सरकार जरूर देगी. सरकार मराठा समाज के साथ थी और आगे भी हमेशा साथ रहेगी.”
जरांगे करेंगे मुंबई मार्च
मनोज जरांगे ने घोषणा की है कि वे जलना जिले के अपने पैतृक गांव से बुधवार को मुंबई के लिए निकलेंगे. वे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठाओं को कुनबी (कृषि आधारित ओबीसी जाति) का दर्जा दिया जाए, ताकि उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके. सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद जरांगे ने साफ कर दिया है कि वे अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे.

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