Maharashtra: ‘संघ का एजेंडा, एक भाषा और…’, हिंदी को लेकर जारी विवाद पर पृथ्वीराज चव्हाण का बड़ा बयान

by Carbonmedia
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महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीते दिनों राज्य सरकार द्वारा तीन-भाषा फॉर्मूले को लागू किए जाने की कोशिश के बाद इसे लेकर जोरदार विरोध शुरू हो गया, जिसे देखते हुए सरकार ने इस फैसले को खारिज कर दिया. 
हालांकि, उसके बाद भी विवाद बढ़ता ही जा रहा है. जारी विवादों में मराठी समर्थकों ने प्रदर्शन किया जिसपर पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि राज्य सरकार ने तीन-भाषा फॉर्मूले को लागू करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र की जनता ने इसका कड़ा विरोध किया.
प्रदर्शनकारियों की प्राथमिकता मराठी- पृथ्वीराज चव्हाण 
पृथ्वीराज चव्हाण ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा. एएनआई को दिए बयान में उन्होंने आगे कहा, “प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि हम हिंदी के खिलाफ नहीं है. हिंदी को पहली कक्षा से अनिवार्य करने के खिलाफ हैं. उनकी मांग है कि प्राथमिकता मातृभाषा मराठी को दी जाए, उसके बाद अंग्रेजी जो एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है, और फिर हिंदी को धीरे-धीरे शामिल किया जाए. लेकिन, बीजेपी और आरएसएस का जो दिल्ली वाला माइंडसेट है, वह एक देश, एक भाषा, एक मजहब और एक चुनाव की सोच के साथ काम करता है.”
मराठी न बोलने के कारण हमला स्वीकार्य नहीं- पृथ्वीराज चव्हाण 
चव्हाण ने आगे कहा कि जब लोगों को लगा कि सरकार आरएसएस का एजेंडा चला रही है, तो जगह-जगह जोरदार प्रदर्शन हुए. सरकार को आखिरकार यह निर्णय वापस लेना पड़ा. उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन किसी पर मराठी न बोलने के कारण हमला करना या कानून अपने हाथ में लेना बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है.

#WATCH | Mumbai | Former Maharashtra CM and senior Congress leader Prithviraj Chavan says, “The state government tried to implement the three-language formula, but the people of Maharashtra started protesting against it. The state government had to withdraw its decision… Some… pic.twitter.com/VYwGBTSOh7
— ANI (@ANI) July 9, 2025

पूर्व मुख्यमंत्री ने मौजूदा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी बनती है कि वह राज्य में शांति और समानता बनाए रखें. “लेकिन राजनीतिक लाभ के लिए मुख्यमंत्री कुछ लोगों के प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं और बाकी लोगों को प्रदर्शन की अनुमति नहीं दे रहे हैं. यह दोहरी नीति राज्य के लिए नुकसानदेह है,” उन्होंने कहा. यह विवाद अब एक बड़े राजनीतिक मुद्दे का रूप लेता जा रहा है.

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