Maharashtra ATS: भारत में रहकर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के मामले की जांच कर रही महाराष्ट्र एटीएस को जांच में पता चला कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के अंतर्गत काम करने वाली पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (PIO) की महिला एजेंटों ने आरोपी रवि वर्मा को हनी ट्रैप में फंसाने के लिए भारतीय सिम कार्ड का इस्तेमाल किया था.
सूत्रों ने दावा किया कि जांच में पता चला है कि PIO की महिला एजेंटों ने जानबूझकर भारतीय सिम कार्ड का इस्तेमाल इसलिए किया, ताकि रवि वर्मा और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को यह महसूस न हो सके कि बातचीत पाकिस्तान से हो रही है. महिला एजेंटों ने खुद को भारतीय नागरिक बताकर वर्मा से संपर्क साधा और उसे बहला-फुसलाकर उससे वॉरशिप और सबमरीन जैसी संवेदनशील रक्षा सूचनाएं, फोटो और वीडियो मंगवाए.
पाक एजेंटों ने भारतीय नंबरों का किया इस्तेमाल
एटीएस सूत्रों की मानें तो जिन 5-6 मोबाइल नंबरों से आरोपी को संपर्क किया गया, वे सभी भारतीय सिमकार्ड हैं. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये सिम कार्ड पाकिस्तानी एजेंटों को किसने और कैसे मुहैया कराए. इस कड़ी में एटीएस ने जांच तेज कर दी है. सूत्रों ने आगे बताया कि, प्रारंभिक जांच में ऐसे पुख्ता संकेत मिले हैं कि पाक एजेंटों ने भारतीय नंबरों का इस्तेमाल कर रवि वर्मा को हनी ट्रैप में फंसाया था. इस खुलासे के बाद एटीएस ने एक सार्वजनिक एडवाइजरी भी जारी की है, जिसमें नागरिकों से अपील की गई है कि वे अनजान भारतीय नंबरों और विदेशी नंबरों से आने वाले मैसेज या कॉल को गंभीरता से लें और उन पर प्रतिक्रिया न दें. साथ ही, ऐसे किसी भी संदेहजनक कॉल या मैसेज की जानकारी तुरंत पुलिस को दें.
भारतीय सिम कार्ड के माध्यम से निशाना बना रहे हैं
सूत्रों ने आगे बताया कि यह कोई एक मामला नहीं है. जांच में सामने आया है कि PIO एजेंट सिर्फ रवि वर्मा ही नहीं, बल्कि भारत के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों को इसी तरह भारतीय सिम कार्ड के माध्यम से निशाना बना रहे हैं. यह उनकी नई मोडस ऑपरेंडी है, जो पहलगाम हमले के बाद सामने आई है.
भारतीय सिमकार्ड मुहैया करवाने में शामिल शख्स
इस बीच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मंगलवार (3 जून) को हसन नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जो पाकिस्तानी एजेंटों को भारतीय सिम कार्ड मुहैया कराने में शामिल था. अब महाराष्ट्र एटीएस दिल्ली पुलिस से लगातार संपर्क में है ताकि यह पता चल सके कि हसन का कोई लिंक रवि वर्मा केस से तो नहीं जुड़ता. सूत्रों ने बताया कि जांच में यह भी सामने आया है कि नवंबर 2024 से मार्च 2025 के बीच रवि वर्मा को पाकिस्तानी एजेंटों से खुफिया जानकारी साझा करने के बदले करीब 9,000 रुपये दिए. ये पैसे डेड अकाउंट से अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए, जिनका विश्लेषण अभी जारी है.