शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) को एक और झटका लगा है. पार्टी के उपनेता और बेलापुर विधानसभा क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय नेता विट्ठल मोरे ने बुधवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. ये फैसला उन्होंने ऐसे समय में लिया जब एक दिन पहले ही वो मुंबई में उद्धव ठाकरे के निवास ‘मातोश्री’ पर हुई एक अहम बैठक में शामिल हुए थे.
‘सामना’ में नाम छपा, मुझे बताया नहीं गया- मोरे
विट्ठल मोरे ने अपने इस्तीफे में पार्टी के अंदर हो रही गतिविधियों को लेकर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि बुधवार को पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में पदाधिकारियों की नई सूची छपी. लेकिन उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई थी.
सरकार पर भी लगाए गंभीर आरोप
इस्तीफा देने के साथ-साथ मोरे ने राज्य की महायुति सरकार और खासतौर पर उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें राजनीतिक रूप से टारगेट कर रही है.
मोरे ने कहा, “एकनाथ शिंदे के आदेश पर मेरे होटल पर आधी रात को तीन बार छापा मारा गया. नगर निगम और पुलिस ने मिलकर मेरे खिलाफ कार्रवाई की, जबकि कोई अनधिकृत निर्माण नहीं था.”
नवी मुंबई की राजनीति में असर
विट्ठल मोरे पिछले 10 सालों से नवी मुंबई के बेलापुर क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और उनका क्षेत्र में अच्छा-खासा जनाधार है. ऐसे में उनके इस्तीफे से न केवल शिवसेना (यूबीटी) की स्थानीय राजनीति पर असर पड़ेगा, बल्कि पार्टी की अंदरूनी कलह भी उजागर हुई है.
शिवसेना से पहले एनसीपी में हुए थे शामिल
बता दें विट्ठल मोरे साल 2012 में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) में शामिल हुए थे. इससे पहले वह एनसीपी पार्टी का हिस्सा थे. एनसीपी में उन्हें सभागृह नेता का पद दिया गया था. इसके बावजूद, वे एनसीपी की कई नीतियों से असंतुष्ट थे.
बाद में उन्होंने एनसीपी के सभागृह नेता के पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद उन्हें दरकिनार कर दिया गया. धीरे-धीरे, मोरे एनसीपी की बैठकों, सभाओं और अन्य गतिविधियों से कटते चले गए.
गौरतलब है कि बीएमसी चुनाव नजदीक है और ऐसे में उनका इस्तीफा पार्टी के लिए एक झटके की तरह है.
Maharashtra: BMC चुनाव से पहले शिवसेना-UBT को बड़ा झटका, उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद विट्ठल मोरे का इस्तीफा
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