Alha Udal Controversy: महोबा जनपद के अजनर थाना क्षेत्र के मवईया गांव में दलित परिवार से हुई मारपीट की घटना में पीड़ित परिवार से मिलने से पहुंचे सपा नेता व पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद अपने बयान को लेकर विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं. महोबा के वीर आल्हा-ऊदल की जाति को लेकर उनका विवादित बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे बुंदेलखंड की राजनीति में चिंगारी भड़क उठी है.
पूर्व मंत्री दद्दू प्रसाद ने अपने बयान में कहा कि वीर आल्हा-ऊदल ऊंची जाति से नहीं, बल्कि ‘नीच जाति’ से थे. इन वीरों ने छोटी जातियों के लोगों को एकत्रित कर अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. उन्होंने ‘आल्हा खंड’ में वर्णित एक दोहे का हवाला देते हुए कहा, “ओछी जात बनाफर चार” यह पंक्ति इस बात का प्रमाण है कि आल्हा-ऊदल छोटी जाति से ताल्लुक रखते थे. पूर्व मंत्री ने आगे कहा कि आल्हा-ऊदल ने अपनी ‘नीचता’ को साहस और संगठन के बल पर समाप्त किया और उदाहरण पेश किया कि किस तरह निचली कही जाने वाली जातियों के लोग भी वीरता का परिचय दे सकते हैं.
’बुंदेलखंड के लोगों के लिए आल्हा देवता से कम नहीं'
हालांकि, पूर्व मंत्री के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है. आल्हा परिषद के अध्यक्ष शरद तिवारी ‘दाऊ’ ने इस टिप्पणी को भ्रामक बताते हुए स्पष्ट किया कि आल्हा-ऊदल क्षत्रिय जाति के योद्धा थे. उन्होंने कहा कि ‘ओछी जात बनाफर चार’ का आशय जातिगत नहीं बल्कि उनके वनवासी जीवन को दर्शाने वाला था. उनके अनुसार, आल्हा-ऊदल ने समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने का कार्य किया और पृथ्वीराज जैसे सम्राट को पराजित किया. यही नहीं उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के लोगों के लिए आल्हा देवता से कम नहीं है.
बीजेपी ने सपा को घेरा
भारतीय जनता पार्टी के मंत्री राकेश राठौर ने भी सपा नेता के इस बयान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि सपा नेता का यह बयान उनकी मानसिकता को उजागर करता है. उनकी इसी मानसिका के चलते उनकी ये दशा हुई है. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक वीरों को जातीय खांचे में बांटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे समाज में अनावश्यक विभाजन की स्थिति पैदा होती है. बीजेपी में सब का साथ सबका विकास है और नीचा-ऊंचा नहीं है.
ये भी पढ़ें: Kanpur News: कानपुर में नरभक्षी बना शख्स, मुंह से काटी रिटायर्ड इंजीनियर की नाक, पुलिस कर रही कार्रवाई