Malegaon Blast Case 2008: मालेगांव ब्लास्ट केस के फैसले पर BJP की पहली प्रतिक्रिया , ‘हिंदुओं से माफी मांगें सोनिया गांधी, भगवा आतंकवाद का हौव्वा…’

by Carbonmedia
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2008 मालेगांव विस्फोट मामले में स्पेशल एनआईए अदालत ने पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित समेत सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है. इस पर बीजेपी IT सेल के हेड अमित मालवीय का रिएक्शन सामने आया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि कांग्रेस की तरफ से भगवा आतंकवाद का हौवा खड़ा करने की घिनौनी साजिश न केवल ध्वस्त हो गई है, बल्कि हमेशा के लिए दफना दी गई है. सोनिया गांधी, पी. चिदंबरम और सुशील कुमार शिंदे जैसे लोग, जिन्होंने इस दुर्भावनापूर्ण अभियान का नेतृत्व किया, उन्हें सनातन धर्म को बदनाम करने के लिए हिंदुओं से बिना शर्त माफ़ी मांगनी चाहिए.
मामले पर विशेष एनआईए अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में नाकाम रहा है. इस वजह से आरोपी संदेह का लाभ पाने के हकदार है. वहीं भाजपा की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कहा कि अदालत की ओर से बरी किया जाना न केवल उनकी, बल्कि हर ‘भगवा’ की जीत है. उन्होंने आगे कहा कि पिछले 17 वर्षों से मेरा जीवन बर्बाद है, भगवान उन लोगों को सजा देंगे जिन्होंने ‘भगवा’ का अपमान करने की कोशिश की.
मालेगांव विस्फोट में मरने वालों की संख्या मालेगांव विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 101 अन्य घायल हुए थे. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) के मामलों की सुनवाई के लिए नियुक्त विशेष न्यायाधीश ए के लाहोटी ने अभियोजन पक्ष के मामले और जांच में कई खामियों को उजागर किया और कहा कि आरोपी व्यक्ति संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं. मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल में लगाए गए विस्फोट उपकरण में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गयी थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे.
मामले की सुनवाई पर अदालत की दलील जज ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मामले को संदेह से परे साबित करने के लिए कोई विश्वसनीय और ठोस सबूत नहीं है. अदालत ने कहा कि इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधान लागू नहीं होते. अदालत ने यह भी कहा कि यह साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी, जैसा कि अभियोजन पक्ष ने दावा किया था. उसने कहा कि यह भी साबित नहीं हुआ है कि विस्फोट कथित तौर पर मोटरसाइकिल पर लगाए गए बम से हुआ था.
इससे पहले सुबह, जमानत पर रिहा सातों आरोपी दक्षिण मुंबई स्थित सत्र अदालत पहुंचे जहां कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है. इस मामले के आरोपियों में ठाकुर, पुरोहित, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी शामिल थे। उन सभी पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता तथा शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आतंकवादी कृत्य करने का आरोप था. अभियोजन पक्ष का दावा था कि विस्फोट दक्षिणपंथी चरमपंथियों द्वारा स्थानीय मुस्लिम समुदाय को आतंकित करने के इरादे से किया गया था.
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