MFA की पढ़ाई के लिए कितना मिल सकता है लोन? जानें इसे चुकाने का सबसे आसान तरीका

by Carbonmedia
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अगर आप कला के क्षेत्र में करियर बनाने का सपना देख रहे हैं और MFA (Master of Fine Arts) जैसे क्रिएटिव कोर्स में दाखिला लेना चाहते हैं, तो पैसों की चिंता अब आपको नहीं करनी चाहिए. आज के समय में देश के बड़े बैंक और फाइनेंस कंपनियां ऐसे क्रिएटिव कोर्सेज के लिए भी शानदार एजुकेशन लोन ऑफर कर रही हैं. बात सिर्फ लोन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसे चुकाने के आसान और स्मार्ट तरीके भी मौजूद हैं, जिससे पढ़ाई के बाद लोन चुकाना बोझ नहीं बल्कि एक मैनेजेबल जिम्मेदारी बन जाती है.
क्या है MFA
MFA यानी मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स एक पोस्टग्रेजुएट कोर्स है, जो पेंटिंग, ग्राफिक डिज़ाइन, स्कल्पचर, फोटोग्राफी, थिएटर, फिल्म या क्रिएटिव राइटिंग जैसे क्षेत्रों में प्रोफेशनल बनने की राह खोलता है. भारत के नामी आर्ट कॉलेजों से लेकर विदेश की टॉप यूनिवर्सिटीज तक MFA को लेकर स्टूडेंट्स में काफी क्रेज देखा जाता है. लेकिन इस कोर्स की फीस और एक्सपेंस कई बार परिवार की आर्थिक क्षमता से ज्यादा हो जाते हैं. ऐसे में एजुकेशन लोन एक शानदार विकल्प बनकर सामने आता है.
कौन देता है लोन
ऐसे में भारत में MFA की पढ़ाई के लिए स्टूडेंट्स को 4 लाख से लेकर 10-20 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन आसानी से मिल सकता है. वहीं अगर आप अमेरिका, यूके या यूरोप जैसे देशों में MFA करने का सपना देख रहे हैं, तो लोन की रकम 20 लाख से 40 लाख रुपये तक जा सकती है. SBI, PNB, ICICI, HDFC जैसे बैंक इसके लिए लोन देते हैं, जबकि Credila, Avanse, InCred जैसी एजुकेशन लोन कंपनियां बिना गारंटी (collateral-free) लोन तक की सुविधा देती हैं, बशर्ते यूनिवर्सिटी मान्यता प्राप्त हो और छात्र की प्रोफाइल अच्छी हो.
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MFA जैसे कोर्स के लिए लोन लेने के बाद सबसे अहम सवाल होता है कि इसे आसानी से कैसे चुकाएं? इसके लिए कुछ आसान लेकिन प्रभावशाली तरीके हैं.
मोराटोरियम पीरियड का स्मार्ट इस्तेमाल करें: पढ़ाई के दौरान और कोर्स पूरा होने के बाद 6 से 12 महीने तक EMI नहीं भरनी पड़ती. इस दौरान आप पार्ट-टाइम इनकम या इंटर्नशिप से ब्याज भरना शुरू कर सकते हैं ताकि लोन का बोझ कम हो.
फ्रीलांस आर्टवर्क से कमाई: कई MFA स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ-साथ डिजिटल आर्ट, पोर्ट्रेट्स, डिज़ाइनिंग या ऑनलाइन ट्यूशन से कमाई कर EMI की शुरुआत कर सकते हैं.
EMI को कम करके लंबी अवधि चुनें: बैंक अक्सर 5 से 10 साल तक की अवधि में EMI भरने की सुविधा देते हैं. इससे मासिक किश्त हल्की पड़ती है.
रीफाइनेंसिंग का विकल्प रखें: अगर कोई और बैंक कम ब्याज दर पर लोन ऑफर कर रहा हो तो वहां ट्रांसफर कराना समझदारी होगी.
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