मध्य प्रदेश के सागर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सरकारी स्कूल भवनों के हाल बेहाल है. स्थिति ये है, बच्चों की कक्षाएं खुले आसमान में पेड़ के नीचे लगाना पड़ रही हैं. इसके वीडियो भी वायरल हो रहे हैं.
जिले के बंडा तहसील के बूढ़ाखेरा ग्राम पंचायत के सिसगुवां प्राथमिक शाला में तो एक साल से कक्षाएं खुले आसमान के नीचे लग रही हैं. इस प्राथमिक शाला में 104 बच्चों के नाम दर्ज हैं. पढ़ाने वाले शिक्षक चार हैं. स्कूल का भवन बना है, लेकिन इसके जर्जर होने की वजह से इसमें कक्षाएं नहीं लगाई जाती हैं.
एक साल से लग रही है खुले में स्कूल
स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि सिसगुवां में अगस्त 2024 से कक्षाएं खुले में ही परिसर में पेड़ के नीचे लग रही हैं. एक साल पहले ही हमें अनहोनी की आशंका के चलते भवन में कक्षाएं न लगाने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन इसके बाद न तो नया भवन बना और न पुराने की मरम्मत हुई.
ऐसे में हम चबूतरों पर, पेड़ के नीचे बच्चों को बैठाकर पढ़ाई करा रहे हैं. वहीं, बच्चों का कहना है कि सर्दी हो या गर्मी, वे इन्हीं पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ रहे हैं. बरसात में पढ़ाई में व्यवधान होता है, इसीलिए शिक्षक छुट्टी कर देते हैं.
खतरे आशंका के बीच पक रहा मध्याह्न भोजन
शिक्षकों का कहना है कि समय-समय पर अधिकारी भी स्कूल का निरीक्षण करते हैं, उन्हें इसकी जानकारी है. यदि बारिश हो जाए, तो स्कूल की छुट्टी हो जाती है.स्कूल भवन क्षतिग्रस्त होने से केवल बच्चों को ही परेशानी नहीं हो रही, इससे मध्याह्न भोजन पकाने वाली रसोइया भी परेशान है.
रसोइया जहां मध्याह्न भोजन पकाती हैं, वह कक्ष भी बदहाल है. इसके बाद भी वे बच्चों को वहीं पर भोजन पका रही हैं. रसोइयों का कहना है कि इसके अलावा घर से भोजन पका कर ले सकते हैं, लेकिन स्कूल में बच्चों की संख्या सौ से ज्यादा है, इसीलिए यहां भोजन पकाकर उन्हें ही खिलाते हैं.
विधायक से लेकर अधिकारियों तक शिकायत की
वहीं, शिक्षक भी जर्जर भवन की वजह से परेशान हैं. स्टाफ कक्ष जहां बना है, वह भी जर्जर है. गांव के मुन्ना सिंह लोधी बताते हैं कि स्कूल भवन बहुत ही बदहाल है. छत से पानी टपकता है. भवन जर्जर होने से हादसे की आशंका बनी रहती है.
भवन की मरम्मत को विधायक से लेकर अधिकारियों तक को शिकायत की गई, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं. आम दिनों में तो स्कूल लग जाती है, लेकिन बरसात होने पर छुट्टी कर दी जाती है.
अगस्त 2024 में ही भवन क्षतिग्रस्त घोषित
छात्रा समीक्षा बताती है कि स्कूल के अंदर बैठने लायक नहीं है, स्कूल भवन क्षतिग्रस्त है. इसका प्लास्टर गिर चुका है. गिरने की आशंका के चलते कक्षाओं को पेड़ के नीचे लगाया जाता है. पानी गिरने पर हमें घर भेज दिया जाता है.
शासकीय प्राथमिक शाला, सिसगुवां के प्राचार्य राजेश श्रीवास्तव के अनुसार, यह स्कूल भवन अगस्त 2024 में ही प्रशासन ने क्षतिग्रस्त घोषित कर दिया है. हमें स्कूल के अंदर बच्चों को बैठाने की सख्त मनाही है. इसीलिए हम बाहर चबूतरों में कक्षाएं लगाते हैं.
प्राचार्य राजेश श्रीवास्तव के अनुसार, नया भवन बनाने का प्रस्ताव भेजा है, लेकिन इसकी मंजूरी आज तक नहीं मिली. जैसे-तैसे व्यवस्था कर स्कूल का संचालन कर रहे हैं. पानी गिरने पर बच्चों की छुट्टी कर देते हैं.
MP: सागर के सरकारी स्कूल में एक साल से पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे बच्चे, खतरे में भविष्य!
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