Muharram 2025 Moon: ‘मुहर्रम’ इस्लामिक कैलेंडर का पहला और चार पवित्र महीनों में एक माह है, जोकि विशेषकर अल्लाह की इबादत की जुड़ा है. साथ ही मुहर्रम का महीना त्याग, शोक, कुर्बानी और कर्बला की जंग की भी याद दिलाता है.
आमतौर पर मुहर्रम महीने की शुरुआत बकरीद के 20 दिन बाद होती है. लेकिन चांद के दीदार होने के बाद ही आधिकारिक तौर पर तिथि की घोषणा की जाती है. क्योंकि इस्लाम में नया चांद नजर आने के बाद ही नए महीने की शुरुआत भी होती है. मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना होता है और मुहर्रम के पहले दिन से ही इस्लामिक नववर्ष की शुरुआत भी हो जाती है.
चारों ओर मुहर्रम की तैयारियां शुरू हो चुकी है. क्योंकि यह मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए महत्वपूर्ण महीना होता है, जिसकी शुरुआत चांद दिखने के साथ ही हो जाती है. लेकिन लोगों के बीच कंफ्यूजन की स्थिति है कि आखिर मुहर्रम का चांद 26 या 27 जून कब नजर आएगा.
कब दिखेगा मुहर्रम का चांद (Muharram 2025 Moon Sighting Time)
मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच ऐसी चर्चा है कि, 26 जून को चांद नजर आने की उम्मीद है. अगर गुरुवार 26 जून को चांद नजर आता है तो इसी दिन शाम से इस्लामिक नए साल हिजरी सन् 1447 की शुरुआत हो जाएगी. अगर किसी कारण 26 जून को चांद नजर नहीं आता तो शुक्रवार 27 जून से इस्लामिक नए साल की शुरुआत हो सकती है. हालांकि कंफर्म तारीख चांद के दीदार पर ही निर्भर करती है.
10 मुहर्रम का दिन भी महत्वपूर्ण
इस्लामिक नववर्ष की शुरुआत होते ही मुहर्रम महीने की शुरुआत भी हो जाएगी. मुहर्रम महीने के 10वें दिन को आशूरा या यौम ए आशूरा कहते हैं. यही वह दिन है जब ‘कर्बला की जंग’ हुई थी. इस दिन को पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन के शहादत के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन कुछ मुसलमान रोजा रखते हैं, मुसलमान बड़ी संख्या में शामिल होकर ताजिया जुलूस में भाग लेते हैं, काले रंग के कपड़े पहनकर शोक जाहिर करते हैं, मातम मनाते हैं और कर्बला की घटना को याद करते हैं. इस तरह से मुहर्रम के 10वें दिन इमाम हुसैन और उनके साथियों की कुर्बानी को याद करते हुए श्रद्धांजलि देते हैं.
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