Narayanpur Encounter: नारायणपुर मुठभेड़ में मारे गए बसवराजू समेत 8 नक्सलियों का पुलिस ने किया अंतिम संस्कार, परिजन नाराज

by Carbonmedia
()

Narayanpur Naxal Encounter: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में बीते सप्ताह मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात माओवादी नेता बसवराजू समेत 8 नक्सलियों का अंतिम संस्कार सोमवार (26 मई) को प्रशासन की देखरेख में पुलिस सुरक्षा के बीच कराया गया. पुलिस के अनुसार, 21 मई को बीजापुर-नारायणपुर सीमा के अबूझमाड़ के जंगलों में हुई भीषण मुठभेड़ में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के महासचिव बसवराजू सहित कुल 27 नक्सली मारे गए थे. इस दौरान जिला रिजर्व गार्ड (DRG) के 2 जवान भी शहीद हो गए थे. मुठभेड़ के बाद प्रशासन ने 19 शव परिजनों को सौंप दिए, जबकि शेष 8 शवों का वैधानिक प्रक्रिया के तहत अंतिम संस्कार कर दिया गया.


संबंध साबित करने में विफल होने पर नहीं सौंपा शव
इन शवों को लेकर आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें बसवराजू और एक अन्य नक्सली नवीन के शव मांगे गए थे. पीटीआई के अनुसार कोर्ट ने 24 मई को याचिकाकर्ताओं को छत्तीसगढ़ पुलिस से संपर्क करने को कहा, लेकिन शव सौंपने का निर्देश नहीं दिया. नारायणपुर में पांच समूह शवों का दावा करने पहुंचे, जिनमें से दो वही थे जिन्होंने कोर्ट में याचिका दी थी. हालांकि, ये समूह मारे गए नक्सलियों से संबंध साबित करने में विफल रहे और शवों को ले जाने हेतु आवश्यक कानूनी दस्तावेज भी नहीं दिखा सके.


पुलिस निगरानी में 8 नक्सलियों का अंतिम संस्कार
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि माओवादी कोसी उर्फ हुंगी के परिजनों ने उचित दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिसके बाद उन्हें शव सौंपा गया. संक्रमण के डर से परिजनों ने नारायणपुर में ही अंतिम संस्कार की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर प्रशासन ने पूरी मानवीय गरिमा और वैधानिक प्रक्रिया के तहत अंतिम संस्कार कराया. शेष दो शवों पर कोई दावा नहीं किया गया, जिसके चलते कुल 8 शवों का 26 मई को प्रशासनिक देखरेख में अंतिम संस्कार किया गया.


वहीं, मारे गए नक्सली बसवराजू के कथित भतीजे नंबाला जनार्दन राव ने आरोप लगाया कि उन्हें शव सौंपने से इनकार किया गया. उन्होंने कहा कि पुलिस ने पहले नाम नोट किए, फिर शव की हालत का हवाला देकर शव न सौंपने की बात कही और उन्हें अंतिम संस्कार के लिए तैयार रहने को कहा गया. शव को देखने भी नहीं दिया गया.


इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि उसने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए जबरन अंतिम संस्कार कराया. उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन बताया, जो शव और परिजनों को सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार का अधिकार देता है.

How useful was this post?

Click on a star to rate it!

Average rating / 5. Vote count:

No votes so far! Be the first to rate this post.

Related Articles

Leave a Comment