हर साल लाखों छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए NEET और JEE जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं. ये दोनों परीक्षाएं भारत की सबसे बड़ी और कठिन परीक्षाओं में गिनी जाती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए मिलने वाली MBBS सीटों की तुलना में इंजीनियरिंग के सबसे प्रतिष्ठित संस्थानों यानी IITs में मिलने वाली सीटें कितनी कम हैं? यह अंतर इतना बड़ा है कि आप जानकर चौंक जाएंगे.
मेडिकल की सीटें
NEET (National Eligibility cum Entrance Test) के माध्यम से देशभर के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में MBBS की पढ़ाई के लिए एडमिशन होता है. साल 2024 के आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी कॉलेजों में MBBS की कुल 55,648 सीटें उपलब्ध हैं. अगर प्राइवेट कॉलेजों और अन्य मेडिकल कोर्सेज (जैसे BDS, BAMS, BHMS आदि) की सीटें जोड़ें, तो यह संख्या 1 लाख से भी ऊपर चली जाती है. लेकिन यहां हम सिर्फ सरकारी MBBS सीटों की बात कर रहे हैं, ताकि IIT सीटों से एक सही तुलना की जा सके.
इंजीनियरिंग का सपना – कितनों को मिलता है IIT में दाखिला?
देशभर में इस समय कुल 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IITs) हैं, जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई का सबसे ऊंचा स्तर माने जाते हैं. इन सभी IITs को मिलाकर साल 2024 में कुल 17,740 सीटें थीं. यानी लाखों छात्रों में से सिर्फ कुछ हजार को ही IIT में पढ़ाई का मौका मिल पाता है. JEE Main और फिर JEE Advanced जैसी कठिन परीक्षाएं पास करने के बाद ही इन सीटों तक पहुंचा जा सकता है.
कितना बड़ा है फर्क?
अगर हम सरकारी MBBS सीटों (55,648) और IIT सीटों (17,740) की तुलना करें, तो साफ है कि IIT की सीटें लगभग 3 गुना कम हैं. यानी मेडिकल में सरकारी MBBS सीटें IIT से तीन गुना ज्यादा हैं. अगर पूरे NEET से मिलने वाले मेडिकल कोर्स की सीटों को गिनें तो IIT सीटों की तुलना में यह अंतर और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
क्यों है इतना अंतर?
इसका एक बड़ा कारण यह है कि मेडिकल क्षेत्र में प्राइवेट कॉलेजों की संख्या ज्यादा है और सरकार ने बीते वर्षों में कई नए मेडिकल कॉलेज खोले हैं. वहीं, IITs की संख्या सीमित है और हर कॉलेज में छात्रों की संख्या भी सीमित रखी जाती है ताकि पढ़ाई का स्तर बना रहे.
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