Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच 4 दिन तक चले सैन्य संघर्ष के बाद सीजफायर की घोषणा कर दी गई. इस दौरान भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए ताबड़तोड़ हमले किए. ऑपरेशन सिंदूर को लेकर किंग्स कॉलेज लंदन में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के सीनियर लेक्चरर डॉ. वाल्टर लैडविग ने NDTV को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ऐसा पहली बार हो हुआ है, जब दो परमाणु हथियार संपन्न देश परस्पर सैन्य संघर्ष में शामिल हुए, जिनमें लगातार हवाई हमले और जवाबी हमले हुए.
उनके अनुसार, यह घटना वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य को बदलने वाली है क्योंकि अब तक परमाणु राष्ट्रों के बीच ऐसे खुले संघर्ष का कोई ऐतिहासिक उदाहरण नहीं था. वे कहते हैं, “हम इस समय सैन्य रणनीति के एक नए क्षेत्र में हैं और आने वाले दशकों में इसका अध्ययन किया जाएगा.” ब्रिटिश एक्सपर्ट्स की ये बातें पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की आंखे खोलने के लिए काफी है कि भारत ने पूरी ताकत के साथ उसे जवाब दिया है और उनके सैन्य ठिकानों को तबाह भी किया है.
ऑपरेशन सिंदूर: एक राजनीतिक क्रांति
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत के बाद भारत ने 6-7 मई की मध्यरात्रि को पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए सटीक मिसाइल हमले किए. इस ऑपरेशन को कोडनेम दिया गया ऑपरेशन सिंदूर. डॉ. लैडविग के अनुसार, यह भारत की सैन्य रणनीति में एक बड़ा बदलाव है. वे इसे “calibrated force” (कैलिब्रेटेड बल) कहते हैं, जिसमें उद्देश्य आतंकवादियों को दंडित करना था न कि विस्तृत युद्ध शुरू करना.
भारत की सैन्य नीति में बदलाव की झलक
डॉ. लैडविग का मानना है कि 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट हवाई हमले भारत की पारंपरिक ‘स्ट्रैटेजिक रेस्ट्रेंट’ नीति से अलग थे और ऑपरेशन सिंदूर ने इसे एक कदम आगे बढ़ाया. उन्होंने कहा कि अगर हम 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक से शुरुआत करें तो ये कार्रवाइयां धीरे-धीरे सार्वजनिक होती गईं. 2019 बालाकोट स्ट्राइक एक टर्निंग पॉइंट था, और अब ऑपरेशन सिंदूर दिखाता है कि भारत एकाधिक लक्ष्यों पर बहु-स्तरीय और बहु-आयामी हमला करने में सक्षम है.”
परमाणु युग में अभूतपूर्व उदाहरण
डॉ. लैडविग ने कहा कि इस तरह के हवाई हमले और जवाबी कार्रवाई का कोई उदाहरण परमाणु युग में नहीं मिलता. यहां तक कि 1960 के दशक में रूस और चीन की लड़ाइयां भी जमीन तक सीमित थीं. पाकिस्तान की तरफ से जवाबी गोलाबारी के बाद तीन रातों तक भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव रहा, जो अंततः 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने की आपसी सहमति पर खत्म हुआ.
क्या यह वैश्विक चिंता का विषय है?
प्रोफेसर लैडविग से जब पूछा गया कि क्या यह वैश्विक चिंता का विषय है. इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर दो परमाणु शक्तियां परस्पर हमलों में शामिल हो और परिस्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाए तो इसके अंतरराष्ट्रीय परिणाम गंभीर हो सकते हैं. प्रोफेसर लैडविग ने भारत सरकार की उस नीति को रेखांकित किया जिसमें अब डोजियर या न्यायालयीय सबूत जुटाने की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है. उनका कहना है कि अगर आप उन्हें सुरक्षित पनाहगाह देने से रोक नहीं सकते तो हम तय करेंगे कि हम सैन्य रूप से प्रतिक्रिया देंगे. यही आज की नीति है.