Operation Sindoor Logo: पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के ऑपरेशन को ‘सिंदूर’ नाम देने के लिए जिस जबरदस्त लोगो का इस्तेमाल किया गया था, उसे तैयार करने में भारतीय सेना के दो सैनिकों की अहम भूमिका थी, जिनका नाम लेफ्टिनेंट कर्नल हर्ष गुप्ता और हवलदार सुरिंदर सिंह है. भारतीय सेना ने अपनी बातचीत पुस्तिका में इन दोनों सैनिकों के बारे में खुलासा किया है.
भारतीय सेना की बातचीत पुस्तिका सैनिकों को दी जाती है, जिसमें हर महीने सेना का लेखा-जोखा होता है. इस मैगजीन में ही सेना ने 6-7 मई की रात को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान सहित सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों की वॉर-रूम में तस्वीरों को सार्वजनिक किया गया है.
भारतीय सेना ने X पर शेयर किया था ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का लोगो
पाकिस्तान में आतंकियों के नौ ठिकानों को ध्वस्त करने के महज आधे घंटे के अंदर ही भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम को दुनिया को बता दिया था. भारतीय सेना के आधिकारिक X हैंडल (ADGPI) से ऑपरेशन सिंदूर का लोगो जारी किया गया था.
लोगो के साथ ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी
लोगो में अंग्रेजी में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लिखा था, जिसमें एक ‘ओ’ को कटोरी के रूप में दर्शाया गया, जिसमें सिंदूर भरा था, जबकि इसके बाद वाले ‘ओ’ के आसपास सिंदूर बिखरा पड़ा था. भारतीय सेना ने रात 1:51 बजे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ऑपरेशन सिंदूर का लोगो जारी कर प्रभावशाली संदेश देते हुए लिखा था, ‘‘पहलगाम हमला, न्याय हुआ. जय हिंद.’’
ऑपरेशन के बाद सेना और सरकार के हर कार्यक्रम में दिखा सिंदूर का लोगो
6-7 मई की रात से ही ऑपरेशन सिंदूर का लोगो सेना और सरकार के हर कार्यक्रम में दिखाई पड़ता है क्योंकि ये लोगो ही पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के लिए न्याय है.
22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने धर्म के नाम पर चुन-चुनकर 26 पर्यटकों को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया था. आतंकियों ने मारे गए पीड़ितों की पत्नियों को खासतौर से (पीएम) मोदी को पैगाम देने की धमकी दी थी. ऐसे में पीएम मोदी के निर्देश पर सेना की जवाबी कार्रवाई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया क्योंकि आतंकियों ने देश की बहन-बेटियों के सिंदूर को मिटाया था.
ऑपरेशन सिंदूर के तहत मारे गए 100 से ज्यादा आतंकी
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन के 100 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया था. इनमें कई टॉप कमांडर भी शामिल थे.