Pilibhit News: पीलीभीत में रेस्क्यू की गई बाघिन को वन विभाग ने जंगल में छोड़ा, 2 किसानों का कर चुकी है शिकार

by Carbonmedia
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Pilibhit News: पीलीभीत में दो किसानो को सिंचाई के दौरान निवाला बनाने वाली बाघिन को जंगल से सटे ग्रामीण इलाके से रेस्क्यू के 48 घण्टे बाद उसका मेडिकल परीक्षण कराया गया. इसके बाद वन्य जीव प्रेमियों की सलाह और उच्च अधिकारियों के मंथन के बाद तीन वर्ष की मादा बाघिन को पुनः पीलीभीत टाइगर रिजर्व में छोड़ पिंजरे से आजाद कर दिया गया. 


अमूमन रेस्क्यू किये गए बाघ यहां से कानपुर या दुधवा नेशनल पार्क सहित चिड़ियाघरो में भेजकर उनकी कैद हो जाती है, वे पिंजरे में कैद सिर्फ पर्यटकों के मनोरंजन का एक मात्र साधन बनकर रह जाते है. लेकिन इस बाघिन को पिंजरे की कैद से आजादी मिली है. जो टाइगर रिजर्व के जंगल मे रहकर बाघों के कुनवे में निश्चित ही इजाफा करेगी. इसको लेकर वन्य जीव प्रेमियों ने वन विभाग के उच्च शीर्ष का आभार व्यक्त किया है.


क्या कहते है वन्य जीव एक्सपर्ट
वन्य जीव प्रेमियों व एक्सपर्ट के अनुसार उनका मानना है रेस्क्यू से लेकर उसके आजाद करने तक बाघिन के स्वभाव में आक्रामकता या गुस्सा नही देखा गया, शांत स्वभाव के साथ बाघिन पिंजरे में रखी गई. उसने दो दिनों में एक दिन भी अपने आक्रामकता का स्वभाव प्रकट नही किया. यहां के बाघ हिंसक पशुओं में भले ही गिने जाते हो किंतु तराई की नहरों के बीच जंगल की खूबसूरती उनके स्वभाव में भी जरूर फर्क डालती है. पीलीभीत के बाघ स्वभाव से थोड़े साधारण विनम्र और शर्मीले भी होते है.


चिड़ियाघर भेजे गए बाघ को खोने का है दुख 
वन्य जीव टाइगर रिजर्व पर अपनी कवरेज देने वाले पर्यावरण प्रेमी अमिताभ अग्निहोत्री का कहना है कि जिस तरह से हमारे पीलीभीत टाइगर रिजर्व से एक के बाद एक बाघों का रेस्क्यू कर उन्हें चिड़ियाघर भेजा जाता है. उसके बाद चिड़ियाघरो के पिंजरे में कैद बाघों की दुखद ख़बर आती है जिसको बड़ा चिंता जनक और शोक बतौर माना जाता है.


पीलीभीत टाइगर रिजर्व से अब तक सबसे बड़ा बाघ गोरखपुर के चिड़ियाघर रेस्क्यू कर भेजा गया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसे केसरी नाम दिया. चिड़ियाघर में उसकी ठीक से देखभाल न होने और पिंजरे की कैद में उसे इतना दुख मिला कि उसकी जीवन की कैद से मुक्त हो उसकी बीमारी से मौत हो गई.  उनकी मांग है कि बाघों के रेस्क्यू के लिए पीलीभीत में बनाये रेस्क्यू सेंटर के बाद उन्हें यहां के जंगल मे ही छोड़ा जाना चाहिए, ताकि हमारे यहां के खूबसूरत बाघ पीलीभीत के जंगलों में ही रहकर अपनी पहचान बना सके.


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