मालेगांव बम धमाके मामले में CRPC की धारा 313 के तहत साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कोर्ट में 30 पन्नों में अपना बयान दर्ज कराया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया था. एबीपी न्यूज के हाथ प्रज्ञा सिंह ठाकुर का 30 पन्नों का बयान लगा है जिसमें उन्होंने दावा किया कि कैसे नरेंद्र मोदी का नाम लेने के लिए उनपर दबाव बनाया जाता था.
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपने बयान में कहा, “एटीएस चीफ ने मुझसे यही शब्द बार-बार कहे और कहा किसने कहा था ब्लास्ट करने को? कैसे गाड़ी लेकर गई मालेगांव और कौन था साथ में? मैंने अपना उत्तर कह दिया कि मुझे नहीं पता कि यह सब क्या है क्योंकि मुझे किसी ब्लास्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं हैं.”
साध्वी ने कहा, “एटीएस चीफ ने कहा कि जल्दी बोल किसने कहा ब्लास्ट करने को? क्या इंद्रेश कुमार ने कहा, सुदर्शन ने कहा, मोहन भागवत ने कहा या यूपी का नेता योगी आदित्यनाथ ने कहा या गुजरात का नरेंद्र मोदी उसने कहा. किसने मालेगांव में बम ब्लास्ट करने का ऑर्डर दिया और किसने पैसे दिए? सुदर्शन ने क्या कहा, मोहन भागवत ने क्या-क्या कहा? मैंने कहा नहीं यह सब कुछ मुझे नहीं पता, किसी ने मुझे कुछ नहीं कहा फिर एटीएस चीफ ने कहा योगी पैसा देता था?, किस-किस ने पैसे दिए?”
ATS चीफ पूछते थे कि नरेंद्र मोदी से कितनी बार मिली?
साध्वी ने कहा, “एटीएस चीफ गाली देते हुए मुझसे पूछ रहा था जल्दी बोल, सही बोल, नरेंद्र मोदी से कितने बार मिली, क्या बात होती थी? मैंने पुनः वही उत्तर दिया कि मुझे नहीं पता मैं मोदी जी से कभी नहीं मिली. एटीएस चीफ ने कहा कि तू झूठ बोल रही हैं, मेरे पास रिकॉर्ड आ गया है कि तू कब-कब मिलने गई. जिस मोटरसाइकिल से ब्लास्ट किया है उस मोटरसाइकिल से भी मिलने गई हैं. मैंने कहा यह पूर्णतः असत्य है, मैं कभी भी न ही मिलने गई और न ही प्रत्यक्ष मिली हूं. उन्होंने फिर पूछा कि क्या करती थी वहां जाकर? मोदी से मिलकर कितनी मीटिंग हुई, किस बात के लिए मीटिंग हुई, कितने पैसे दिए मालेगावं ब्लास्ट के लिए. मैंने कहा जब मैं मिली ही नहीं तो मीटिंग का प्रश्न ही नहीं होता है.”
साध्वी ने कहा, “एटीएस चीफ ने कहा कि कितने पैसे दिए नरेंद्र मोदी ने? उसी फंडिग से ब्लास्ट करती थी या ब्लास्ट का अलग से पैसा दिया. उन्होंने मुझे गाली दी, अभद्र तरीके की बातें की, इन सब बातों को सुनने के बाद मैंने सिर्फ इतना ही कहा कि जाओ अपनी लड़की से पूछो कैसा होता है और क्या होता हैं? तुम्हारे यहां होता होगा. हमारे यहा ऐसा नहीं होता, तब वो चिढ़कर गाली देते हुए बोला कि मेरी लड़की के बारे में बोलती है? अपने जैसा समझा है क्या? फिर उसने कुर्सी से उठकर मेरे बाल पकड़े और दीवार में सिर पटक दिया.”
साध्वी प्रज्ञा ने बताया कैसे किया जुल्म?
उन्होंने कहा, “मेरी ठुड्डी पर हाथ लगाकर सिर पीछे किया और जोर से अपने हाथों से मेरा जबड़ा दबाया. मुझे खड़ा कर दिया और मेरी गर्दन का अपनी कुहनी से जोर से गला दबाते हुए दीवार से चिपका दिया. गले को दबाए रखते हुए अपने घुटने से मेरी दोनों जांघो पर कई बार मारा, पेट पर नोचा और अपने हाथ का पंजा मेरे पेट में गाड़कर मेरा पेट जोर से मरोड़ दिया, जिसके कारण असहनीय दर्द से मेरी चीख निकल गई. तब मुझ पर चीखते हुए बोला कि अभी तेरी सांस चल रही है, जिंदा है तू? बड़ी बेशर्म है और उसी समय परमवीर सिंह बाहर से अन्दर आया, एटीएस चीफ (हेमंत करकरे) ने कहा “काय”, परमवीर सिंह बाहर चला गया. एटीएस चीफ (हेमंत करकरे) दांत पीसते हुए मुझे दीवार से रगड़ता रहा अपनी कुहनी से हमारे कंधों पर कई बार चोट की और दोनों हाथ पीछे से पकड़कर अपने घुटने से मेरी बीच पीठ से लेकर निचले हिस्से तक कई बार चोट दी.”
उन्होंने कहा, “वह बोला कितना पैसा तुझे नरेंद्र मोदी ने दिया. तू तो कई-कई दिन तक वहां रुकती थी, हफ्ते-हफ्ते तक वहां रुकती थी. तेरे चहरे पर तो चमक ही नहीं है, वैश्याओं जैसा तो चेहरा है और तूने भगवा कपड़े पहन रखे हैं और तू अपने आप को सन्यासिन बोलती है. तेरी काली करतूत तो सब पता है मुझे, बता नहीं तो तेरे गुरु को उठा लाएंगे, तेरे घरवालो को उठा लाएंगे, उनको इतना ठोकेंगे कि वो तो सात जन्मों का भी बोल देंगे, वो ही गुरु है ना तेरा टकलू-टकलू रहता है? तेरा काहे का गुरु वो भी नौटंकी करता होगा? तेरा और तेरे गुरु का सब भगवा का नाटक निकल जाएगा. तेरा गुरु भी आरएसएस वालों से मिलता है ना तेरे गुरु ने कहा कि तू ब्लास्ट करके आ. मारते-पीटते जब वह थक जाता तो दांत भींचकर खीजते हुए कहता है कि किसी को भी नहीं छोडूंगा, ये महाराष्ट्र है महाराष्ट्र. तेरे बाप, मां जितने भी नातेदार है उनको यहां लाकर गिराऊगां तब तू बोलेगी या तब जब तेरे प्रेमी इंद्रेश कुमार को ले आऊं या मोहन भागवत को उठा लाऊं.”
उसने कहा, “तू क्या समझती है ये एटीएस है इससे बड़ा कुछ नहीं हैं, जहां पहुंच गया ना उसको उठा कर ले आऊं. बोल तू आज रात बोलेगी. नरेंद्र मोदी तो वैसे ही अभी जेल जाएगा. उसने जो मारा है ना, दंगे करवाए हैं ना उसमें अंदर जाएगा. बस रूक थोड़ा सा, उसमें थोड़ी पूछताछ और बाकी है. मैं बोल रहा हूं नरेन्द्र मोदी अपने आप सरंडर करेगा और नहीं करेगा तो हम करवाएंगे. अभी तू जानती नहीं है पुलिस को जो चाहेंगे वो करवाएंगे, तू क्या तेरा बाप भी बोलेगा. वो खुद को ही नहीं बचा पाया तो तुझको क्या बचाएगा. इसलिए तू बोल अभी बोलेगी तो मैं तुझे छोड़ दूंगा और अभी नहीं बोली तो ये आरएसएस के नेता लोग, नरेंद्र मोदी सब जेल के अंदर होंगे. जेल जाने के पहले तो हमारी कस्टडी में होंगे. तू नहीं बोलेगी तो वो बोलेंगे, नरेंद्र मोदी के साथ दंगों में तू भी थी, क्या काम दिया था तुझे?”
मैं किसी से नहीं मिली- प्रज्ञा
साध्वी प्रज्ञा ने कहा, “इतने सब बाते सुनते हुए मैंने सिर्फ एक बात कही यह सब गलत है मैं किसी से नहीं मिली हूं और ना ही मुझे किसी ब्लास्ट की जानकारी है. इससे अधिक मैं उस प्रताड़ना में कुछ भी नहीं बोल पाई क्योंकि इतने अश्लील शब्द और मेरे सन्यासी जीवन की मर्यादा और भगवा का अपमान, राष्ट्रहित में समर्पित लोग, अपने जीवन को देशहित में समर्पित करने वाले चिर राष्ट्र रक्षा, राष्ट्र उत्थान का चिंतन करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारीगणों के बारे में और गुजरात के मुख्यमंत्री को ब्लास्ट के बारे में जोड़कर जो शब्द कहे वह मेरे जीवन के अविशिप्त क्रुस्तम शब्द थे. मेरी सहनशीलता की पराकाष्ठा उस दिन मुझे प्रत्यक्ष आभासित हो रही थी. यह भी समझ में आ रहा था कि यह कुछ बहुत बड़ा षड़यंत्र देश के विरुद्ध है और इसलिए मैं शून्य थी, दिमाग और शरीर दोनों ही काम करने की अवस्था में नहीं बचे थे. शाम के बाद रात्रि तक यही क्रम चला.”
उन्होंने आगे कहा, “एटीएस चीफ (हेमंत करकरे) ने यह भी पूछा कि इंद्रेश कुमार, मोहन भागवत, सुदर्शन ने मालेगांव के अलावा और कहां-कहां ब्लास्ट करवाया और करने के लिए कहा. मुझे कई दिन बाद पता चला कि एटीएस चीफ का नाम हेमंत करकरे है जो मुझे प्रताड़ित कर रहा था. मुझे यह भी समझ में आया कि ब्लास्ट कोई षड़यंत्र हैं, जिसमें मुझे और संघ के पदाधिकारी व भाजपा के सांसद और मुख्यमंत्री जैसे उच्च पदों पर बैठे लोगों को इस षड़यंत्र में मेरे माध्यम से शामिल करने का कुचक्र है. ऐसी अवस्था के बाद मुझे एक कमरे मे ले जाते है और वहा मुझे छोड़ दिया जाता हैं. दिन-रात प्रताड़नाएं चलती है सोने नहीं दिया जाता, भोजन स्वयं से नहीं कर पाती थी, क्योंकि प्रताड़ना सहन करने से ही समय नहीं मिलता था.”
उन्होंने कहा, “एटीएस चीफ की प्रताड़ना के बाद थोड़ी देर आधे घंटे के लिए छोड़ दिया जाता हैं. फिर इंस्पेक्टर खानविलकर और अव्हाड दोनों आते है मुझे खड़ा किया और बाहर थोड़े बड़े कमरे में ले आए, फिर मेरे दोनों हाथ आगे करने को कहा. इतने बेल्ट मारे कि हाथों में भयानक सूजन, पीड़ा और हाथ काले-नीले हो गए. ना उंगलिया मुड़ने की अवस्था में बची और ना हाथ. ऐसा लग रहा था कि हाथ अभी फट जाएंगे और खून बहने लगेगा. उस समय उन्होंने पीटना बंद किया, फिर हथेलियों को जमीन पर ठोकने को कहा, थोड़ा कड़क कागज हथेलियों से बॉल बनाने को कहा, गरम पानी में नमक डालकर उसमें हाथों को डलवाया. लगभग आधे घंटे के बाद हाथ थोड़ा मुलायम हुआ और फिर से आव्हाड, खानविलकर और दो और व्यक्ति जिनके नाम मैं अभी तक नहीं जान पाई वो लोग आए और फिर से बेल्ट से पीटना प्रारंभ कर दिया, साथ में गालियां भी दी और बेल्ट मेरे हाथों, पेरों में और हिब्स पर मारते जा रहे थे, तू कुछ नहीं बोल रही हैं जो इतने बड़े साहब (हेमंत करकरे) ने कहा कि जिन लोगों ने ब्लास्ट के लिए बोला है उन्हें पता है, जिसने करवाया है, कौन पैसा देता हैं, तो क्यों नहीं बोलती, बोलना तो पड़ेगा. मेरा पोपट (बेल्ट) सब बुलवा लेता है. तू साहब को अभी जानती नहीं हैं और शरीर पर बेल्ट मारते जा रहे थे. अभी भी नहीं बोल रही है इसको तो नंगा करो, उतारो इसके कपडे और उल्टा लटका दो. मैं पिटते-पिटते और ये शब्द सुनकर सुन्न खड़ी रही, आंखे बंद हो गई, ना ही कोई चोट की पीड़ा समझ आ रही थी, ना ही दिमाग में कुछ और सब सुन्न हो गया. उन्होंने मुझे पकड़ा और कपड़े ऊपर किए उस समय में सुन्न होकर बेहोश हो गई और मुझे कुछ पता नहीं मेरे साथ क्या किया उन लोगों ने, यह सभी पुरुष पुलिस इंस्पेक्टर अरुण खानविलकर, आव्हाड और अन्य वहां खड़े पुरूष पुलिस का किया था, वहां कोई भी महिला पुलिस नहीं थी.”
मेरे सन्यासी जीवन और भगवा वस्त्रों का लगातार किया अपमान- साध्वी
साध्वी ने कहा, “यह कौन से संविधान के कानून की धारा में आता है, यह एटीएस मुंबई ने मुझे 13 दिनों तक गैर-कानूनी तरीके से रखते हुए कानून के पालनकर्ता पुलिस ने मेरे साथ पूरी तरह से गैर-कानूनी व्यवहार किया. उन्होंने कहा कि तूने सन्यास क्यों लिया, किसने कहा तू तो सन्यासी नहीं हैं. ऐसे अश्लील शब्द बोलते मेरे भगवा वस्त्रों को और सन्यासी जीवन को अश्लील गालियों से अपमानित करते रहे.”
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