Rajasthan Laila-Majnu Mazar: राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में देशभर से सैकड़ों नवविवाहित दंपती अंतर्राष्ट्रीय भारत-पाकिस्तान सीमा पर अनूपगढ़ के बिंजौर गांव में स्थित लैला-मजनू की मजार पर बेपनाह प्यार की दुआ मांगने पहुंचते हैं. हर साल 11 जून से 15 जून तक लैला-मजनू की याद में लगने वाले मेले में देशभर से हजारों की संख्या में उनके मुरीद पहुंच कर प्यार भरे जीवन की मन्नत मांगते हैं.
भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बिंजौर गांव में स्थित लैला-मजनू की मजार प्रेम की एक ऐसी अनकही दास्तान का प्रतीक है, जो सदियों से लोगों के दिलों में बसी है. यहां प्रत्येक साल 11 जून से 15 जून तक लगने वाला मेला सैकड़ों प्रेमी जोड़ों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, जो अपने प्यार को अमर करने की दुआ मांगने आते हैं.
लैला-मजनू की मजार, जो पाकिस्तान सीमा से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर है, न केवल प्रेम का प्रतीक है, बल्कि विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच एकता का भी संदेश देती है. कहा जाता है कि लैला और मजनू की प्रेम कहानी, जो पीढ़ियों से सुनाई जाती रही है, इस मजार के साथ गहराई से जुड़ी है.
हालांकि, इतिहासकार इसे काल्पनिक मानते हैं, लेकिन स्थानीय लोगों और यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह मजार विश्वास और आस्था का केंद्र है. मेला कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह के अनुसार, यह मजार लगभग 400 साल पुरानी है. प्रीतम सिंह जो 1962 से इस गांव में रह रहे हैं, बताते हैं कि घग्गर नदी की बाढ़ में भी इस मजार में पानी नहीं घुसता था.
मजार के ऊपर जलते दिखे थे दो दीपक
प्रीतम सिंह ने 1965 में अपनी आंखों से मजार के ऊपर 2 दीपक अपने आप जलते देखे, जो उनकी आस्था को और गहरा करता है. 1972 में हुए एक चमत्कार के बाद इस मजार की मान्यता और बढ़ गई, जिसके बाद हर साल यहां भारी भीड़ उमड़ने लगी. यह मेला केवल प्रेमियों का नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लोगों का मेला है.
हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी यहां एक साथ आकर अपने प्रेम के लिए मन्नत मांगते हैं. नवविवाहित जोड़े, प्रेम में असफल हुए लोग और विवाह की प्रतीक्षा में बैठे युवक-युवतियां इस मजार पर अपनी फरियाद लेकर आते हैं. स्थानीय निवासी बताते हैं कि पिछले 10-15 सालों में यहां आने वालों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है.
लोगों को आकर्षित करता है मेला
पहले जहां यह मेला स्थानीय स्तर तक सीमित था, अब यह देशभर से लोगों को आकर्षित करता है. इस मेले के दौरान सीमा सुरक्षा बल के जवान की तरफ से पेयजल व अन्य सुविधाएं भी दी जाती हैं. मेला कमेटी से आयोजित कुश्ती प्रतियोगिताएं दूर-दराज के पहलवानों को अपनी ताकत दिखाने का मौका देती हैं. विजेताओं को सम्मानित किया जाता है, जो मेले की शोभा बढ़ाता है.
मनोरंजन के उद्देश से मेले में पंजाब के कलाकारों से पंजाबी अखाड़े का आयोजन भी किया जाता है. इस मेले में पंजाब से आए पंजाबी कलाकार ने बताया कि वह 5 सालों से लगातार मेले में बिना कोई शुल्क लिए पंजाबी अखाड़ा लगाकर लोगों का मनोरंजन करता है.
(अनूपगढ़ से अजय शर्मा की रिपोर्ट)
Rajasthan: लैला-मजनू की मजार, जहां लगता है प्रेमियों का मेला, नवदंपती और नाकाम प्रेमी भी मांगते हैं मन्नत
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