झालावाड़ जिले के पीपलोदी इलाके में जिस स्कूल की बिल्डिंग गिरने से सात बच्चों की मौत हुई है, उसी स्कूल में बच्चों की जिंदगी से खतरा मोल लेते हुए भ्रष्टाचार की एक और इमारत बनकर तैयार हुई है. हादसे वाले स्कूल के कैंपस में नया आंगनबाड़ी केंद्र बनाया गया है.
सात लाख रुपये की लागत से बनाया गया यह आंगनबाड़ी केंद्र पूरी तरह तैयार हो चुका है. कागजी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इसमें छोटे बच्चों को इसी साल से शिक्षा दी जानी है, लेकिन नई बनाई गई इस बिल्डिंग की हालत को देखकर आप हैरान हो जाएंगे.
टाइल्स के बीच पड़ीं दरारें
छोटे बच्चों की पढ़ाई शुरू होने से पहले ही इस नवनिर्मित बिल्डिंग की छत बारिश के सीजन में टपक रही है. दीवारों पर जगह-जगह दरार आ चुकी है. छत के प्लास्टर अभी से उखाड़ कर गिरने लगे हैं. जमीन की टाइल्स बेतरतीब तरीके से लगी हुई है. टाइल्स जगह-जगह से टूट चुकी हैं. टाइल्स के बीच दरारें पड़ी हुई है.
जमीन भी कई जगह से धंस गई है. समझा जा सकता है कि जिस आंगनबाड़ी केंद्र की जर्जर हालत उसके शुरू होने से पहले ही हो चुकी है, वह कितनी टिकाऊ होगी और बच्चे इसमें कितना सुरक्षित रहेंगे, इसका अंदाजा लगा पाना कतई मुश्किल नहीं है.
‘हालत देखकर हम भी हैरान रह गए’
हादसे के बाद से ही इस आंगनबाड़ी केंद्र में ताला जड़ दिया गया था, ताकि अधिकारी नेता और मीडिया इसकी दुर्दशा को ना देख सकें. आज सुबह से हो रही तेज बारिश के बीच लोगों को जब यह लगा की बारिश में कोई भी नहीं आएगा तब इसे कुछ देर के लिए खोला गया. गांव के लोगों द्वारा जानकारी देने और शिकायत करने पर हमारी टीम जब इस आंगनवाड़ी केंद्र में पहुंची तो यहां की हालत देखकर हम भी हैरान रह गए.
‘दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता’
सात बच्चों की जिंदगी निगलने वाला स्कूल तो अपने निर्माण के इकतीसवे साल में मलबे के ढेर में तब्दील हुआ, लेकिन इस आंगनवाड़ी की नई बिल्डिंग कितने हफ्ते या कितने महीने चल पाएगी, इस बारे में भी दावे से कुछ नहीं कहा जा सकता. यह बिल्डिंग सीधे तौर पर बच्चों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है. यहां अगर पहले दिन ही कोई हादसा हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं. शनिवार (26 जुलाई) को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के आने पर गांव के कुछ लोगों ने उनसे शिकायत की थी. उस वक्त किसी का ध्यान इस तरफ नहीं गया.
अब देखना यह होगा कि हमारी रिपोर्ट देखने के बाद जिम्मेदार लोगों की आंखें इस आंगनवाड़ी केंद्र को लेकर खुलती हैं या नहीं. इसमें खाना पूर्ति के नाम पर हल्की मरम्मत करने के बाद बच्चों को बिठाने का रिस्क लिया जाएगा या फिर ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे नए सिरे से पूरी बिल्डिंग तैयार करने को कहा जाएगा.
मौत शाला की गई है तैयार
इस मामले में निर्माण करने वाले ठेकेदार के साथ ही क्वालिटी चेक करने वाले इंजीनियर और मॉनिटरिंग करने वाले अधिकारियों के खिलाफ पर कार्रवाई होगी या नहीं. आंगनबाड़ी केंद्र की नई बनाई गई बिल्डिंग की हालत को देखकर कोई भी कह सकता है कि यहां बच्चों के लिए पाठशाला नहीं बल्कि मौत शाला तैयार की गई है.
Rajasthan News: झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद, भ्रष्टाचार से बना ‘मौत शाला’ आंगनबाड़ी केंद्र
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