अयोध्या में राम मंदिर में द्वितीय प्राण प्रतिष्ठा के बाद राजा राम के साथ माता सीता और तीनों भाई के लिए पहला रक्षाबंधन का त्योहार ऐतिहासिक होने जा रहा है. इस भगवान रामलला की कलाई पर मधुबनी शैली से बनी राखी बांधी जाएगी. ये राखी अयोध्या पहुंच चुकी हैं. जिसकी विधि विधान से पूजा अर्चना हुई.
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त पर सभी विग्रहों को बड़ी बहन शांता की ओर से मधुबनी की शैली पर बनी जरी और मोतियों की राखियां बांधी जाएंगी. जिले में श्रृंगी ऋषि आश्रम से 6वें श्री रामलला रक्षाबंधन महोत्सव के तहत चार दिवसीय आयोजन संपन्न किए जाएंगे.
भगवान रामलला की कलाई बांधी जाएगी राखी
राम नगरी में इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व भव्य तरीके से मनाया जाएगा. यह अवसर इसलिए भी विशेष है क्योंकि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला रक्षाबंधन होगा. भगवान श्रीराम और उनके भाइयों भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की कलाई पर उनकी बड़ी बहन शांता की ओर से राखियां बांधी जाएंगी.
ये राखियां मधुबनी कला शैली में जरी और मोतियों से सजी होंगी. श्री श्रृंगी ऋषि आश्रम से देवी शांता के द्वारा यह रक्षासूत्र भेजा जाएगा. यहां से 6वां ‘रामलला रक्षाबंधन महोत्सव’ तीन दिवसीय आयोजन के तहत मनाया जाएगा.
बहन शांता की ओर से आएगी राखी
8 अगस्त को शोभायात्रा के साथ राखियां, फल और मिष्ठान्न लेकर कार सेवक पुरम् पहुंचाया जाएगा. जहां इसे मंदिर ट्रस्ट को सौंपा जाएगा. इससे पहले, आश्रम में तीन दिवसीय पूजा, अर्चना और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. श्रृंगी ऋषि वही हैं जिनके पुत्रेष्टि यज्ञ से भगवान राम का जन्म हुआ.
पौराणिक मान्यता के अनुसार, श्रृंगी ऋषि का विवाह अयोध्या के चक्रवर्ती राजा दशरथ की पुत्री देवी शांता से हुआ था. इसलिए यह राखी उनके ससुराल अयोध्या में प्रभु श्रीराम को भेजी जाती है.
राखी में मिलेगी भारतीय परंपरा की झलक
मीडिया प्रभारी अनुराग सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार की विशेष राखियां जूट फॉर लाइफ संस्था की महिला कारीगरों द्वारा तैयार की गई हैं. इन राखियों में कलावा, रेशम, तुलसी बीज, मोती, सिल्क और जूट जैसे प्राकृतिक और आध्यात्मिक तत्वों का उपयोग किया गया है. हर राखी प्रेम, भक्ति और भारतीय परंपरा की भावना से बनी है.
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