टीवी डिबेट में चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए गए. एक वक्ता ने कहा कि अगर आधार हमारी पहचान का आधार नहीं है, तो इसे क्यों बनवाया जा रहा है और हर जगह इस्तेमाल करने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है. उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के वीज़ा फॉर्म का उदाहरण दिया, जहाँ आधार नंबर को भारत के सिटीजनशिप कार्ड के रूप में मान्यता दी जाती है. बहस में यह चिंता जताई गई कि चुनाव आयोग की वोटर काटने की ‘तलवार’ सभी राजनीतिक दलों के वोटरों पर असर डाल सकती है, जिसमें नीतीश कुमार, चिराग पासवान, आरजेडी और सीपीआई एमएल के वोटर भी शामिल हैं. विपक्ष के कई लोगों ने आशंका जताई कि चुनाव आयोग को मिले लाखों फॉर्म पर विचार करते समय, दस्तावेजों की अनुपस्थिति में गरीब और उन लोगों को वोटर न माना जाए, जो मोटे तौर पर भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगी दलों के वोटर नहीं समझे जाते. यह आरोप भी लगाया गया कि यह प्रक्रिया सत्ता पक्ष के लिए अधिक सहज ‘क्यूरेटेड लिस्ट’ तैयार कर सकती है, जिसका असर उत्तर प्रदेश, पंजाब और लोकसभा चुनावों पर भी पड़ेगा. एक सुझाव दिया गया कि चुनाव आयोग को एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए ताकि सर्वसम्मति से फैसला हो सके और वोटिंग के हक में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे. सवाल उठाया गया कि क्या चुनाव आयोग सहयोग कर रहा है या अवरोध पैदा कर रहा है.
Sandeep Chaudhary: आधार से वोटर पहचान पर सवाल, चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप | Bihar Election
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