Sandeep Chaudhary: वोट के साथ नागरिक की पहचान भी खतरे में, नहीं मिलेगा राशन-पेंशन? Bihar Election

by Carbonmedia
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. इस प्रक्रिया को ‘वोटबंदी’ बताया जा रहा है, जो 2016 की नोटबंदी से भी ज्यादा खतरनाक मानी जा रही है. चर्चा के दौरान यह सवाल उठाया गया कि चुनाव आयोग द्वारा मांगे जा रहे डॉक्यूमेंट्स के कारण करीब 2 करोड़ लोग अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं. आरोप है कि एआरओ को मनमाने तरीके से फैसला लेने का अधिकार दिया गया है, जिससे पारदर्शिता की कमी होगी. यह भी चिंता जताई गई कि इस प्रक्रिया से सिर्फ वोटिंग का अधिकार ही नहीं, बल्कि आम नागरिक की पहचान भी खतरे में पड़ जाएगी, जिससे उन्हें राशन और पेंशन जैसी सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ सकता है. बहस में कहा गया कि ‘ये वोटबंदी है, पूरे बिहार के लिए और नोटबंदी से भी खतरनाक है क्योंकि नोटबंदी तो सिर्फ नोट का मामला था, ये वोट का मामला है.’ विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि पहले से मुकम्मल सूची को अचानक faulty क्यों बताया जा रहा है.

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