बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे वोटर वेरिफिकेशन अभियान पर एक टीवी डिबेट में कई गंभीर सवाल उठाए गए. बहस के दौरान, चुनाव आयोग की मंशा पर संदेह व्यक्त किया गया. यह कहा गया कि आधार और अन्य 11 दस्तावेजों की अनिवार्यता, खासकर 2003 के बाद जन्मे मतदाताओं के लिए जन्म प्रमाण पत्र की मांग, लाखों लोगों को मतदाता सूची से बाहर कर सकती है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित है और चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के इशारे पर काम कर रहा है. बहस में इस बात पर भी चिंता जताई गई कि यह अभियान बिहार में ऐसे समय में चलाया जा रहा है जब राज्य में बाढ़ की स्थिति है और नदियां उफान पर हैं. प्रवासी मजदूरों पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर भी सवाल उठे, क्योंकि उनके लिए भौतिक उपस्थिति और दस्तावेज जमा करना मुश्किल हो सकता है. एक वक्ता ने कहा, “जिस सफाई की ओर आपका ध्यान है, वह मतदाताओं को साफ करना चाहते हैं.” यह भी पूछा गया कि जब अक्टूबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच स्पेशल समरी रिवीजन हो चुकी है, तो अब एक महीने के समय में फिर से समीक्षा की क्या जरूरत है. महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव आयोग के फैसलों पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का भी जिक्र किया गया.
Sandeep Chaudhary: Bihar में Voter Verification पर उठे सवाल, दस्तावेजों और समय पर चिंता | Voter ID
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