Saudi T20 league: दुनियाभर की क्रिकेट लीगों पर अब नया खतरा मंडरा रहा है. यह खतरा है सऊदी अरब द्वारा प्रस्तावित सुपर-लीग. इस लीग के आने से आईपीएल और द हंड्रेड को सबसे ज्यादा नुकसान झेलना पड़ सकता है. IPL और द हंड्रेड को कमजोर करने की इस कोशिश के खिलाफ भारत और इंग्लैंड ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है. इंग्लैंड में भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने इस लीग के खिलाफ आपस में हाथ मिला लिया है. दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया है जो इस अरबों डॉलर की लीग से फायदा उठाने को तैयार बैठा है.
बीसीसीआई और ईसीबी आए साथ कहा, खिलाड़ियों को नहीं देंगे NOC
ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत और इंग्लैंड के क्रिकेट बोर्ड ने सऊदी अरब की प्रस्तावित टी20 लीग के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. लॉर्ड्स में खेले गए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के दौरान बीसीसीआई और ईसीबी के टॉप अधिकारियों के बीच इस मुद्दे को लेकर बातचीत हुई, जिसके बाद यह फैसला किया गया कि दोनों ही बोर्ड इस नई लीग का समर्थन नहीं करेंगे.
दोनों बोर्डों ने यह भी फैसला लिया है कि वे अपने खिलाड़ियों को इस लीग में खेलने के लिए नहीं भेजेंगे. बोर्ड खिलाड़ियों को इसकी मंजूरी नहीं देगा. यानी बोर्ड के द्वारा NOC (No Objection Certificate) जारी नहीं किया जाएगा. इसके अलावा बीसीसीआई और ईसीबी मिलकर ICC पर भी दबाव बनाएंगे कि वह भी इस लीग को किसी प्रकार की आधिकारिक मान्यता न दे.
ऑस्ट्रेलिया लीग के समर्थन में
जहां भारत और इंग्लैंड इस टी20 लीग का विरोध कर रहे हैं, वहीं क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) का फैसला इससे बिलकुल अलग है. रिपोर्ट के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया इस लीग में सऊदी निवेशकों के साथ भागीदारी करने को तैयार है. ऑस्ट्रेलिया के लिए यह एक मौका है अपने क्रिकेट के प्रारूप में प्राइवेट निवेश को लाने का, क्योंकि अभी बिग बैश लीग (BBL) पर गवर्निंग बॉडी और राज्य संघों का ही अधिकार है.
400 मिलियन डॉलर और ग्रैंड स्लैम जैसा फॉर्मेट
सऊदी अरब की यह प्रस्तावित टी20 लीग एसआरजे (SRJ Sports Investments) द्वारा शुरू की जा सकती है क्योकि एसआरजे इस लीग में 400 मिलियन डॉलर यानी भारतीय रुपयो के मुताबिक करीब 3442 करोड़ रुपये, का निवेश करने को तैयार है. इस लीग में 8 टीमें होंगी जो हर साल अलग-अलग मैदानों पर जाकर चार टूर्नामेंट खेलेंगी.यह लीग ठीक उसी तरह से होगी जैसे टेनिस के ग्रैंड स्लैम खेले जाते हैं.
इस तरह का अलग फॉर्मेट और इतना सारा पैसा दोनों मिलकर मौजूदा लीगों के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है. यही कारण है कि BCCI और ECB ने पहले ही इसके खिलाफ रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
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