SEBI ने BSE-NSE की वीकली एक्सपायरी बदली:अब NSE पर एक्सपायरी मंगलवार को होगी, ‌BSE को गुरुवार का दिन मिला

by Carbonmedia
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सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी SEBI ने BSE और NSE के सभी FO कॉन्ट्रैक्ट्स की वीकली एक्सपायरी में बदलाव का ऐलान किया है। अब BSE पर एक्सपायरी गुरुवार को और NSE पर एक्सपायरी मंगलवार को होगी। इसके अलावा सेबी ने सभी डेरिवेटिव्स एक्सपायरी के लिए भी एक ही दिन तय किया है। दरअसल, NSE ने सेबी से मंगलवार को वीकली एक्सपायरी करने की सिफारिश की थी। सेबी ने NSE की सिफारिश के बाद यह फैसला किया है। अभी NSE के सभी FO कॉन्ट्रैक्ट्स की वीकली एक्सपायरी गुरुवार को और BSE के सभी FO कॉन्ट्रैक्ट्स की वीकली एक्सपायरी मंगलवार को होती है। NSE के चीफ बिजनेस ऑफिसर ने क्या कहा? NSE के चीफ बिजनेस ऑफिसर श्रीराम कृष्णन ने कहा, ‘अगर आप इसे उलटकर देखें और कहें कि NSE की एक्सपायरी अब मंगलवार को तय हो गई है, तो यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा पॉजिटिव है। मार्केट इकोसिम की यही डिमांड थी। हमें पहले से ही इस दिशा में पॉजिटिव फीडबैक मिल चुका था।’ हमने कभी अपना एक्सपायरी दिन नहीं बदला, जबकि हमारे पास मौका था। जब दूसरे एक्सचेंज ने शुक्रवार से मंगलवार पर शिफ्ट किया। उस समय हमने कोई बदलाव नहीं किया। पहले हमने सोमवार पर विचार किया था, लेकिन परामर्श पत्र और बाद के घटनाक्रमों को देखते हुए हमने मंगलवार को चुना, जो एक संतुलित सुझाव था और अब उसे मंजूरी मिल चुकी है।’ SEBI की प्रोसेस मार्च से चल रही थी यह फैसला उस परामर्श प्रक्रिया के बाद लिया गया है, जो मार्च 2025 में शुरू हुई थी। इसका मकसद था एक्सपायरी शेड्यूल को व्यवस्थित करना और बाजार में अधिक उतार-चढ़ाव को कम करना। रिपोर्ट के मुताबिक, SEBI ने सुझाव दिया था कि सभी इक्विटी डेरिवेटिस कॉन्ट्रैक्ट्स की एक्सपायरी या तो मंगलवार या गुरुवार को होनी चाहिए, ताकि हफ्तेभर अलग-अलग दिन एक्सपायरी से पैदा हो रही हद से ज्यादा स्पेक्युलेटिव ट्रेडिंग पर लगाम लगाई जा सके। एक्सपायरी क्या होती है? एक्सपायरी शेयर बाजार में उस तारीख को कहते हैं, जब किसी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स (जैसे ऑप्शन या फ्यूचर्स- FO) की वैधता खत्म हो जाती है। उस दिन तक ट्रेडर्स को या तो उस कॉन्ट्रैक्ट को बेचना होता है, या उसका सेटलमेंट करना होता है। एक्सपायरी के दिन इन कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव देखा जाता है, क्योंकि कई निवेशक अपनी पोजिशन क्लोज करते हैं या रोलओवर करते हैं। इंडेक्स ऑशन जैसे साप्ताहिक डेरिवेटिस में यह एक्सपायरी हर हफ्ते तय दिन (जैसे मंगलवार या गुरुवार) को होती है। फ्यूचर्स एंड ऑप्शन क्या होता है? फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (FO) एक प्रकार के फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट हैं जो निवेशक को स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी में कम पूंजी में बड़ी पोजीशन लेने की अनुमति देते हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शन, एक प्रकार के डेरिवेटिव कॉन्ट्रेक्ट होते हैं, जिनकी एक तय अवधि होती है। इस समय सीमा के अंदर इनकी कीमतों में स्टॉक की प्राइस के अनुसार बदलाव होते हैं। हर शेयर का फ्यूचर्स और ऑप्शन एक लॉट साइज में अवेलेबल होता है। 17 जून को सेंसेक्स 213 अंक गिरकर बंद हुआ हफ्ते के दूसरे कारोबार दिन यानी मंगलवार, 17 जून को सेंसेक्स करीब 213 अंक गिरकर 81,583 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी में भी 93 अंक की गिरावट रही, ये 24,853 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 8 में तेजी और 22 में गिरावट रही। टाटा मोटर्स, सनफार्मा और इटरनल (जोमैटो) समेत 10 कंपनियों के शेयर 2% गिरे। एशियन पेंट्स, इंफोसिस और टेक महिंद्रा में 1.7% तक की तेजी रही। वहीं, निफ्टी के 50 शेयरों में से 38 में गिरावट,11 में तेजी रही जबकि एक में कोई बदलाव नहीं हुआ। NSE के IT सेक्टर को छोड़कर सभी में गिरावट रही। दवाओं पर ट्रंप के नए टैरिफ के ऐलान की खबरों के चलते फार्मा सेक्टर में सबसे ज्यादा 1.89% की गिरावट रही। वहीं, हेल्थकेयर में 1.79% और मेटल में 1.43% की गिरावट रही।

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