नई दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार (10 सितंबर, 2025) भारत की नागरिकता हासिल किए बिना वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराने के आरोप में सोनिया गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच कराने की मांग वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, ‘नियम ये कहते हैं कि पहले आपको देश की नागरिकता हासिल करनी होती है, इसके बाद ही आप यहां के वोटर बन सकते हैं. उस समय न तो पैन कार्ड था और न हीं आधार कार्ड था, सिर्फ पासपोर्ट या राशन कार्ड ही पहचान के आधार होते थे. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि किन आधिकारिक सरकारी दस्तावेजों के जरिए सोनिया गांधी भारत की राजधानी नई दिल्ली से वोटर बनी थी.’
वकील ने कहा, ‘इसके बाद साल 1982 में फिर सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट से डिलीट किया गया. 1982 में मतदाता सूची से दो नाम डिलीट किए गए, इनमें से एक नाम भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी का था, जिनकी मृत्यु हो गई थी और दूसरा नाम सोनिया गांधी का था.’
कोर्ट में दाखिल की याचिका में उठाए गए कई सवाल
याचिका में कहा गया कि सोनिया गांधी ने 30 अप्रैल, 1983 को भारत की नागरिकता हासिल की थी, जबकि उनका नाम 1980 की वोटर लिस्ट में शामिल था. याचिका में सवाल उठाया गया है कि 1980 की नई दिल्ली की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम कैसे शामिल था.
एक बड़ा सवाल यह भी है कि 1982 में सोनिया गांधी का नाम वोटर लिस्ट से डिलीट हुआ, तो आखिर उसके पीछे क्या कारण था कि उनका नाम हटा दिया गया था.
याचिका में सवाल उठाया गया है कि जब 1983 में नागरिकता हासिल की, तो किस डाक्यूमेंट्स के आधार पर 1980 में वोटर लिस्ट में नाम शामिल कराया गया, क्या फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया गया था?
याचिक में की मुकदमा दर्ज कराने के लिए निर्देश देने की मांग
वहीं, याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में राउज एवेन्यू कोर्ट से दिल्ली पुलिस को निर्देश देने की मांग की है, जिससे पुलिस इस मामले में मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर सके. साथ ही जांच की स्टेटस रिपोर्ट जल्द दाखिल कराने के लिए भी मांग की गई.