SYL पर पंजाब CM मान की शर्त पर आज फैसला:दिल्ली मीटिंग में मंथन; केंद्रीय मंत्री के साथ हरियाणा सीएम होंगे शामिल, 13 को SC में सुनवाई

by Carbonmedia
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सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर को लेकर 9 जुलाई के बाद आज फिर दिल्ली में पंजाब CM भगवंत मान और हरियाणा CM की केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अगुआई में मीटिंग होगी। मीटिंग में भगवंत मान के द्वारा रखी गई रावी नदी के पानी को लेकर शर्त पर मंथन होगा। इससे पहले हुई मीटिंग में मान स्पष्ट कर दिया था कि ये नहीं बनेगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि हरियाणा हमारा भाई है, हमें पानी मिलने पर आगे पानी सप्लाई में कोई दिक्कत नहीं है। मीटिंग से पहले CM मान और CM सैनी ने गले मिलकर एक-दूसरे का स्वागत किया। सीआर पाटिल की अगुआई में दोनों स्टेट के CM की ये पहली मीटिंग हुई और पॉजिटिव माहौल में बात हुई थी। हरियाणा CM ने भी कहा कि मीटिंग सार्थक रही। पंजाब-हरियाणा दोनों भाई हैं। दोनों का एक ही बेहड़ा (आंगन) है। इस मुद्दे का रास्ता निकालने का काम किया जा रहा है। चिनाब और रावी के पानी पर पंजाब का जोर पंजाब के CM ने कहा कि मीटिंग से एक उम्मीद बनी है। पहलगाम अटैक के बाद पाकिस्तान से रद्द हुआ इंडस वाटर समझौते का पानी पंजाब लाया जाए। झेलम का पानी पंजाब नहीं आ सकता है, लेकिन चिनाब और रावी का पानी आ सकता है। पौंग, रंजीत सागर डैम और भाखड़ा डैम में होते हुए ये पानी आ सकता है। हमें उस पानी को आगे हरियाणा को देने से क्या दिक्कत है? हरियाणा तो हमारा भाई है। हम भाई घन्नैया के वारिस हैं, जिन्होंने दुश्मनों को पानी पिलाया था। मैंने मंत्री साहब से कहा कि 23 मिलियन लीटर फीट (MAF) पानी वहां से जाएगा। हम तो दो-तीन MAF के लिए लड़ रहे हैं, तो हमें क्या दिक्कत रह जाएगी? दो-चार नहरें पंजाब में बन जाएंगी। इससे पंजाब फिर से रिपेरियन बन जाएगा। उनकी बात पर मंत्री पाटिल ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। हालांकि SYL के मुद्दे पर पंजाब का स्टैंड साफ है। SYL 212 किलोमीटर लंबी है इससे पहले की बैठकें बिना नतीजे रही थीं। 212 किलोमीटर लंबी इस नहर में हरियाणा का 92 किलोमीटर हिस्सा बन चुका है, जबकि पंजाब के 122 किलोमीटर हिस्से का निर्माण अब तक अधूरा है। यह मीटिंग 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले दोनों राज्यों के बीच सहमति बनाने की कोशिश है। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2002 में हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था और पंजाब को नहर निर्माण का आदेश दिया था, लेकिन 2004 में पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में कानून पास कर 1981 के समझौते को रद्द कर दिया था। पहले तीन बार हुई है मीटिंग इस मुद्दे पर पंजाब और हरियाणा के सीएम की पहली मीटिंग 18 अगस्त 2020 को हुई थी, जबकि दूसरी मीटिंग 14 अक्टूबर 2022 और तीसरी मीटिंग 4 जनवरी 2023 को हुई थी। लेकिन इनमें कोई सहमति दोनों पक्षों में बन नहीं पाई थी।

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