राजधानी दिल्ली की जाम से जूझती सड़कों और वायु प्रदूषण की मार झेलते लोगों के लिए अर्बन एक्सटेंशन रोड-2 (UER-2) एक नई उम्मीद बनकर उभर रही है. यह महत्वाकांक्षी परियोजना, जिसे दिल्ली की तीसरी रिंग रोड भी कहा जा रहा है, अब अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रही है.
क्या है UER-2?
UER-2 एक 75 किलोमीटर लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे है जो दिल्ली को हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से जोड़ने का काम करेगा. इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा विकसित किया जा रहा है और इसका उद्देश्य शहर के भीतर से गुजरने वाले भारी वाहनों को बाईपास देना और ट्रैफिक लोड को बाहरी रिंग रोड और NH-48 से डायवर्ट करना है. यह एक्सप्रेसवे NH-1 (GT रोड) से शुरू होकर NH-8 और फिर NH-2 (मथुरा रोड) तक जाएगा, जिससे पूरे पश्चिमी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और द्वारका क्षेत्र को लाभ होगा.
85 प्रतिशत काम हुआ पूरा
लगभग 7700 करोड़ की लागत वाले इस 6 लेन रोड प्रोजेक्ट को दिल्ली के मास्टर प्लान, 2021 में प्रस्तावित किया गया था और 2023 तक इसे पूरा कर लेने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन यह, भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी और बजट आवंटन जैसी कई अड़चनों के कारण बार-बार देरी का शिकार हुई. लेकिन अब यह परियोजना तेज़ी से प्रगति कर रही है. NHAI के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, UER-2 का लगभग 85% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. उम्मीद है कि, इसे मार्च 2026 तक यातायात के लिए खोल दिया जाएगा.
दिल्ली की भीतर वाहनों का दबाव होगा कम
इसके शुरू होने से द्वारका, नजफगढ़, बाहादुरगढ़, बवाना और रानीखेड़ा जैसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को इससे जबरदस्त राहत मिलने की उम्मीद है. लोगों को घंटो जाम में रहने और प्रदूषण से काफी हद तक निजात मिल जाएगी. वर्तमान में द्वारका से गुरुग्राम जाना वह भी सुबह के समय किसी जंग जीतने जैसा साबित होता है. इससे दिल्ली से गुड़गांव की यात्रा का समय 20 मिनट तक कम होने की उम्मीद है. यह रोहिणी, इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और गुरुग्राम जैसे प्रमुख क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी में सुधार करेगा.
ईको-फ्रेंडली ग्रीन कॉरिडोर
UER-2 को ग्रीन कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जा रहा है. NHAI का दावा है कि सड़क के दोनों ओर वृक्षारोपण, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और ई-वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन जैसी सुविधाएं भी शामिल की जाएंगी. इसके अतिरिक्त, ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के लिए साउंड बैरियर और वायुमार्ग के नीचे हरियाली विकसित की जा रही है.
दिल्ली के इंफ्रास्ट्रक्चर में UER-2 एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. यह न केवल ट्रैफिक को सुगम बनाएगा, बल्कि दिल्ली की हवा को भी थोड़ा स्वच्छ बना सकता है.
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