उत्तर प्रदेशन में कथावाचक मोरारी बापू ने काशी विश्वनाथ मंदिर में सूतक के दौरान प्रवेश करने के मामले में संज्ञान लेते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग ने पुलिस कमिश्नर वाराणसी को उचित कार्यवाही करने का निर्देश दिया है.
जून 2025 में इस मामले में काफी विवाद हुआ था, जिसे धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने वाला मानकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र सिंह यादव ने मामला राज्य मानवाधिकार आयोग में दर्ज कराया था.
सूतक में मंदिर प्रवेश पर उठा विवाद
मोरारी बापू को वर्तमान में स्वयं की पत्नी के दिवंगत होने पर उसके मृत्योपरांत होने वाले संस्कारों को नकारा गया था. उन्होंने मरण सूतक को भी न मानते हुए, काशी जैसी धर्मनगरी में आकर विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पूजा की और आसन पर बैठकर राम कथा की व्याख्या जैसा अशास्त्रीय कार्य किया.
काशी और देशभर के अनेक हिंदू व शैवपंथी, विद्वानों, पंडितों और धर्माचार्यों ने इनके इन अपकृत्यों के बारे में प्रश्न उठाने और विरत होने की प्रार्थना भी की गई. तब इन्होंने क्षमा याचना की शब्दावली तो कही, पर मंदिर शुद्धिकरण के बारे में कुछ नहीं किया और कथा भी स्थगित नहीं की.
मोरारी बापू ने कोई शास्त्र वाक्य नहीं रखा
इसके विपरीत मोरारी बापू ने कहा कि मैं निम्बार्की हिंदू हूं, मेरे पास भी शास्त्र हैं. लेकिन एक सप्ताह से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जनता के समक्ष उन्होंने कोई शास्त्र वाक्य नहीं रखा, जिसमें किसी गृहस्थ हिंदू धार्मिक के मरने पर उत्तर क्रिया और अशौच का निषेध किया गया हो.
ऐसे में यह सिद्ध हो गया कि न तो उनके पास कोई शास्त्र है, जिसे वे प्रदर्शित कर अपने कृत्य को औचित्यपूर्ण सिद्ध कर सकें और न ही उनमें शास्त्रों के प्रति श्रद्धा है कि शास्त्रों का ध्यान दिलाए जाने पर वे अपने अशास्त्रीय कार्य से विरत हो सकें.
लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है
उनके इस कृत्य व कृत्य के पश्चात माफी न मांगने से हिंदू धर्म के शैव व वैष्णव दोनों की परंपराओं को मानने वाले लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची है तथा वे अपमानित महसूस कर रहे हैं.
अतः आयोग से मांग की गई थी कि उक्त मामले की जांच कराकर उचित कानूनी कार्यवाही की जाए, ताकि आहत लोगों को न्याय मिल सके.
UP: काशी विश्वनाथ मंदिर में ‘सूतक’ विवाद, मोरारी बापू पर मानवाधिकार आयोग का एक्शन, क्या होगा न्याय?
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