UP: गोरखपुर के पर्वतारोही उमा सिंह ने रचा कीर्तिमान, साइकिल से नाप दी दुनिया की 10वीं सबसे ऊंची चोटी

by Carbonmedia
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उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में युवा पर्वतारोही उमा सिंह ने एक और कीर्तिमान अपने नाम किया है. उन्‍होंने दुनिया की 10वीं सबसे ऊंची चोटी नेपाल के पोखरा में स्थित माउंट अन्‍नपूर्णा बेस कैंप को साइकिल से नाप दिया और इस चोटी के बेस कैंप पर चढ़ाई कर तिरंगा फहराया है.  
उमा सिंह के नाम अब तक कई बड़े रिकॉर्ड हैं. वो अच्‍छे साइकिलिस्ट और बाइकर होने के साथ ही कुशल पर्वतारोही भी हैं. दुनिया की कई पहाड़ की चोटियों को साइकिल से नापने के साथ उन्होंने बाइक से कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक का सफर 73 दिनों में पूरा कर रिकॉर्ड बनाया है.
गोरखपुर के पर्वतारोही ने बनाया रिकॉर्ड
29 वर्षीय माउंटेनियर उमा सिंह मूल रूप से गोरखपुर के बांसगांव तहसील में गोड़सैरा गांव के रहने वाले हैं. उन्‍होंने नेपाल के पोखरा में स्थित अन्नपूर्णा बेस कैंप (13550 फीट) पर साइकिल से चढ़ाई की है. उमा सिंह ने दृढ़ निश्‍चय और संकल्‍प के बल पर अपनी चढ़ाई पथरीले और खतरनाक रास्तों पर शुरू की. 
1 अगस्‍त 2025 को उन्‍होंने अन्नपूर्णा बेस कैंप 13,550 फीट पर साइकिल से सफलतापूर्वक चढ़ाई कर भारत का तिरंगा झंडा फहराया और वापस डाउन हिल करते हुए 3 अगस्‍त 2025 को शाम 5 बजे पोखरा पहुंच कर इस मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया.
साइकिल से नापी दुनिया की 10वीं सबसे ऊंची चोटी
पर्वतारोही उमा सिंह ने इस मिशन की शुरुआत 26 जुलाई 2025 को विकास भवन परिसर से तिरंगा झंडा के साथ की. उनकी साइकिल से यात्रा 27 जुलाई 2025 को शुरू हुई. इसके बाद 1 अगस्‍त 2025 को उन्‍होंने ऑफरोडिंग चढ़ाई का लक्ष्‍य पूरा किया. उन्‍हें पोखरा से बेस कैंप तक साइकिल से पहुंचने में 6 दिन लगा. साइकिल से ऑफ रोड चढ़ाई करने वाले वे भारत के दूसरे व दुनिया के चौथे पर्वतारोही हैं. उमा सिंह ने बताया कि इस ट्रैक पर चढ़ाई का उनका अनुभव बहुत ही रोमांचक रहा है. अन्नपूर्णा बेस कैंप पर साइकिल से चढ़ाई करना बहुत ही कठिन और काफी जोखिम भरा है. सीधी चढ़ाई वाले खड़े पहाड़, हरे-भरे जंगलों के बीच से गुजरना, मानसून की परिवर्तनशील प्रवृत्ति, जिसमें कभी बारिश, कभी धरती और पेड़ों से निकलती उमस के साथ जंगली कीड़े मकोड़ों जोक से सामना करना बेहद कठिन रहा. उन्होंने कहा कि बारिश का मौसम होने के कारण रास्ते गायब होने से जंगल में खो जाने का बड़ा जोखिम था जिसे पार करना एक चुनौती के रूप में रहा है. इन सब परिस्थितियों से जूझते हुए अंततः मंजिल तक वे पहुंच गए और भारत का तिरंगा फहरा दिया. 
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