Lucknow News: कोविड काल में अस्थाई रूप से तैनात 676 कर्मियों को अब स्थायी राहत मिलने जा रही है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इन कर्मियों के विभागीय समायोजन को मंजूरी दे दी है. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि बाकी बचे इन कर्मचारियों को एक माह के भीतर तैनाती दी जाएगी. इसके लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.
डिप्टी सीएम ने बताया कि कोविड महामारी के समय प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु रखने के लिए बड़ी संख्या में संविदा, आउटसोर्स और अस्थाई नियुक्तियां की गई थीं. इनमें से कई कर्मियों को पहले ही समायोजित किया जा चुका है. अब शेष बचे 676 कर्मियों को भी जगह दी जाएगी. इससे पहले 1834 कर्मियों को तैनाती मिल चुकी है.
स्वास्थ्य विभाग ने संबंधितों को जारी किया पत्र
स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी जिलाधिकारियों, सीएमओ, मुख्य चिकित्सा अधीक्षकों और मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को पत्र भेजा गया है. इसमें निर्देश दिए गए हैं कि जिन कर्मियों ने कोविड काल में सेवाएं दी थीं, उन्हें ही तैनाती दी जाए. किसी अन्य व्यक्ति को इन पदों पर रखने पर संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
योग्यता और पूर्व अनुभव के आधार पर मिलेगी तैनाती
पत्र में यह भी कहा गया है कि कर्मियों की तैनाती उनकी योग्यता और पूर्व कार्य अनुभव के आधार पर की जाएगी. जिन ब्लॉकों में ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट्स स्थापित हैं, वहां डाटा एनालिस्ट, लैब असिस्टेंट, ओटी टेक्नीशियन, आयुष एमओ, बीडीएस एमओ, स्वीपर, वार्ड ब्वॉय, वार्ड आया, माइक्रोबायोलॉजिस्ट और नॉन मेडिकल साइंटिस्ट जैसे पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी.
आयुष्मान भारत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और एनएचएम के तहत संचालित कार्यक्रमों में स्टाफ नर्स व लैब टेक्नीशियन की भी तैनाती की जाएगी. यह नियुक्तियां उसी वेतनमान पर की जाएंगी, जो पहले तय था. अगर किसी जिले में रिक्त पद उपलब्ध नहीं हैं, तो संबंधित सीएमओ को तत्काल मंडलीय अपर निदेशक को सूचित करने को कहा गया है. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता और नियमों के तहत पूरी की जाए.
ये भी पढे़ं: UP Corona Update: यूपी में डरा रहा कोरोना! गाजियाबाद और लखनऊ में दर्ज हुए नए मामले