Nainital News: उत्तराखंड के नैनीताल में जहां पहले चारों तरफ भीड़ भाड़ रहती थी, अब इन सड़कों पर कोई ट्रैफिक नहीं दिखाई दे रहा है. नैनीताल में हमेशा ही गर्मियों के सीजन में पर्यटकों से गुलजार रहने वाली सड़कें इन दिनों खाली-खाली दिखाई दे रही है. आखिरी माजरा क्या है? क्या नैनीताल से पर्यटकों का मोहभंग होता जा रहा है?
गर्मियों के मौसम में पर्यटकों से खचाखच भरा रहने वाला नैनीताल इन दिनों एक अलग ही तस्वीर पेश कर रहा है और यह बदलाव स्थानीय लोगों के लिए शुभ संकेत नहीं है. इस बदलाव की मुख्य वजह है, पर्यटकों की संख्या में अचानक आई भारी गिरावट को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि यह गिरावट सबसे गलत समय पर आई है. मई और जून के महीने, जब गर्मी की छुट्टियां और पर्यटन सीजन अपने चरम पर होता है, उस वक्त में नैनीताल के होटल व्यवसाय में 90% तक गिरावट देखने को मिल रही है.
नैनीताल होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष ने क्या बोला?
नैनीताल होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह बिष्ट ने एबीपी लाइव से बातचीत करते हुए बताया कि होटलों और रिसॉर्ट्स की बुकिंग में भारी गिरावट आई है. उनके अनुसार पिछले एक महीने में ऑक्यूपेंसी रेट 90% तक गिरी थी लेकिन अब पिछले दो या चार दिनों से थोड़ा माहौल ठीक लग रहा है और धीरे धीरे कारोबार अपनी पटरी पर लौटने लगा है, हमें उम्मीद है कि जल्द सब ठीक होगा.
बिष्ट का कहना है कि नैनीताल में पिछले दिनों एक मॉलेस्टेशन का मामला आया था जिसके बाद थोड़ा माहौल खराब हो गया था. उसकी वजह से और दूसरा भारत पाकिस्तान का जो युद्ध शुरू हुआ था, उसकी वजह से पर्यटन गतिविधियों में काफी कमी देखने को मिली थी. जिसके चलते होटल की बुकिंग लगभग 90 फीसदी तक कैंसिल हो गई थी और अभी भी हालत कोई ठीक नहीं है, लेकिन हमें उम्मीद है कि जल्दी सब ठीक हो जाएगा.
लोग नैनीताल की जगह अब भीमताल और मुक्तेश्वर को चुन रहे हैं
वहीं नैनीताल में पिछले 35 सालों से होटल व्यवसाय से जुड़े एक व्यक्ति ने हमें अपना नाम न लिखने की शर्त पर बताया कि, उनकी प्रॉपर्टी में भी इस बार 70 से 80 प्रतिशत तक बुकिंग कम रही, यह हाल तब है जब नैनीताल का मौसम अन्य हिल स्टेशनों की तुलना में कहीं ज्यादा सुहावना है. पर्यटक अब नैनीताल की जगह भीमताल, मुक्तेश्वर जैसी जगहों को चुन रहे हैं, लेकिन नैनीताल को नजरअंदाज कर रहे हैं. ये नुकसान केवल होटल व्यवसायियों को ही नहीं यह कैब और टैक्सी कारोबारियों को भी हुआ है. उनको भी इस सीजन में काफी नुकसान झेलना पड़ा है.
इस बार कैब और टैक्सी बुकिंग में 50% की देखने को मिली है, जबकि आमतौर पर मई और जून उनके सालाना व्यवसाय का 80% हिस्सा बनाते हैं। इस गिरावट से उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है. लेकिन स्थानीय ड्राइवर से हमने बात की तो उनका कहना था कि नुकसान तो काफी हुआ है लेकिन हमें उम्मीद है कि साल के अंत तक हम इस नुकसान को पूरा कर सकेंगे और हमें उम्मीद है कि एक बार फिर से पर्यटक नैनीताल की और लौटेंगे.
नैनीताल में पर्यटन कारोबार में गिरावट की कई वजहें
नैनीताल में पर्यटन कारोबार में गिरावट की कई वजहें बताई जा रही हैं, अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे। इस घटना के बाद पूरे देश में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई और यात्रा करने वालों की संख्या में गिरावट आई है. साथ ही नैनीताल में एक बच्ची के साथ यौन शोषण के बाद हुए हंगामा को लेकर के भी पर्यटकों में खासी कमी देखने को मिली थी.
बता दें कि 1 मई को नैनीताल में एक 12 वर्षीय बच्ची के साथ एक 60 वर्षीय व्यक्ति द्वारा कथित यौन शोषण के बाद सांप्रदायिक तनाव भड़क उठा था. आरोपी ठेकेदार उस्मान की गिरफ्तारी के बाद शहर में हिंसक प्रदर्शन हुए। कई दुकानों में तोड़फोड़ हुई और एक मस्जिद पर पत्थर फेंके गए थे.
घटते पर्यटन पर स्थानीय लोगों ने क्या बोला?
इन घटनाओं के वीडियो और खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जिससे संभावित पर्यटकों के बीच डर और असमंजस का माहौल बन गया। होटल व्यवसायी सिंह का कहना है, अब भले ही नैनीताल पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन उन घटनाओं की वजह से लोग डर गए थे और धीरे धीरे नैनीताल से अपनी दूरी बना रहे थे.
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यटकों को अब अपनी गाड़ियों को नैनीताल के बाहर 10 किलोमीटर दूर पार्क करना पड़ता है. इसके अलावा, पार्किंग शुल्क भी 130 से बढ़कर 500 कर दिया गया है. यह सब ट्रैफिक कम करने के लिए किया गया है, लेकिन इसका असर पर्यटन पर पड़ा है. धीरे-धीरे पर्यटक नैनीताल से दूर होते जा रहे हैं जो कि नैनीताल के पर्यटन व्यवसायियों के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है.
नैनीताल निवासी अजय ने क्या बताया
नैनीताल निवासी अजय ने बताया कि पुलिस चेकपोस्ट पर पर्यटकों को नैनीताल न आने की सलाह भी दी जाती रही है। साथ ही, बारापत्थर और फांसी घंडेरा में टोल टैक्स वसूली शुरू की गई है, जिसे पर्यावरण संरक्षण के नाम पर लागू किया जा रहा है. ऐसे में पर्यटक नैनीताल से दूरी बना रहे हैं. एक पर्यटक कितनी जगह टैक्स देगा, कितनी जगह पार्किंग के पैसे देगा, ऐसे में पर्यटक नैनीताल को धीरे-धीरे छोड़ रहे हैं जो कि नैनीताल के पर्यटन व्यवसायियों के लिए बड़ी चिंता का विषय है. इस बारे में प्रशासन को भी सोचना होगा कि स्थानीय लोगों के कारोबार से उन्हें खिलवाड़ नहीं करना चाहिए.
वहीं जिला प्रशासन के अनुसार, ये निर्णय ट्रैफिक नियंत्रण और पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से लिए गए हैं. नए नियमों के तहत 110 टोल टैक्स, 500 प्रतिदिन पार्किंग चार्ज और 110 लेक ब्रिज टैक्स लिया जा रहा है। इन सब बातों के बावजूद, स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि हालात में जल्द बदलेंगे. नैनीताल होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष बिष्ट के अनुसार, बीते सप्ताहांत में ऑक्यूपेंसी 40% तक पहुंच गई थी और पर्यटक वापस आने लगे हैं. ऐसे में उम्मीद है कि नैनीताल में जल्द ही फिर से पर्यटकों की वापसी होने लगेगी. बिष्ट ने उम्मीद जताई कि जून के अंत तक स्थिति में और सुधार हो सकता है, हालांकि पिछले साल जैसी हलचल अब तक नहीं लौटी है।
नैनीताल का स्थानीय प्रशासन क्या कहता है?
बता दे कि उत्तराखंड में नैनीताल पर्यटकों के लिए एक अलग ही मकाम रखता है और हर साल यहां लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. लेकिन मई महीने में नैनीताल में हुए बवाल के बाद और भारत पाकिस्तान युद्ध की स्थिति को देखते हुए पर्यटकों ने नैनीताल से दूरी बनाना शुरू कर दी है. फिलहाल स्थानीय लोगों का मानना है कि धीरे-धीरे स्थिति में सुधार आएगा.
स्थानीय प्रशासन का भी कहना है कि पर्यटक जल्द ही नैनीताल का रुख करेंगे. लेकिन लगातार बढ़ते शुल्क और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता को देखते हुए पर्यटकों का मोह नैनीताल से भंग होता जा रहा है. ऐसे में पर्यटक अब रामनगर भवानी मुक्तेश्वर रानीखेत जैसे हिल स्टेशनों का रुख कर रहे हैं. इस विषय में जिला प्रशासन को गंभीरता से सोचना होगा. स्थानीय लोगों के कारोबार को लेकर स्थानीय प्रशासन को गंभीरता से सोचते हुए कोई उचित निर्णय लेना होगा. तभी एक बार फिर से नैनीताल पर्यटकों से गुलजार हो पाएगा.
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