उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली में मंगलवार 5 अगस्त 2025, को आई प्राकृतिक आपदा ने भारी तबाही मचाई है, इस आपदा ने 47 साल के पुराने जख्मों को ताजा कर दिया है. उत्तरकाशी के थराली गांव में खीरगंगा का प्रचंड रूप देखकर लोगों को 6 अगस्त 1978 की आपदा याद आ गई. आपदा की बरसी से ठीक एक दिन पूर्व धराली आपदा ने सबको झकझोर कर रख दिया है. मंगलवार को आई आपदा ने 47 साल पुराने जख्मों को ताजा कर दिया.
धराली आपदा साल 1978 के चश्मदीदों का कहना है कि, 1978 में धराली से कुछ किमी नीचे कनोडिया गाड़ ने भी भयंकर रूप दिखाया था. उस समय धवराणी में मां गंगा का प्रवाह तक रुक गया था, जिससे फिर भारी तबाही हुई थी. धराली में खीर गंगा में पहली बार नहीं हुआ कि उसका जलस्तर बढ़ने के कारण आसपास के क्षेत्र को नुकसान हुआ है. हालांकि इससे पूर्व की आपदाओं में वहां पर जान का नुकसान नहीं हुआ. उसके बाद भी वहां पर न ही स्थानीय लोग चेते और न ही शासन-प्रशासन की ओर से वहां पर सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतजाम किए गए.
साल 2013 में कई दिनों तक बंद रहा था गंगोत्री हाईवे
आपको बता दें कि, वर्ष 2023 में खीर गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण वहां पर कई दिनों तक गंगोत्री हाईवे भी बंद रहा था. साथ ही दुकानों और होटलों को भी नुकसान हुआ था. उसके बाद वहां पर सुरक्षात्यक कार्य तो हुए लेकिन उसके बावजूद नदी का स्थान कम होने के कारण वह विनाशकारी आपदा को नहीं रोक पाया.
2017-18 में भी खीरगंगा का जलस्तर बढ़ने से आई थी आपदा
वहीं इससे पूर्व भी साल 2017-18 में खीरगंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण वहां पर होटलों, दुकानों और कई घरों में मलबा घुस गया था. उस समय भी आपदा से उभरने में लोगों को करीब एक वर्ष का समय लग गया था. हालांकि उत्स समय जिंदगी को नुकसान नहीं हुआ था.
Uttarkash Cloud Burst: धराली आपदा ने 47 साल बाद फिर ताजा किया जख्म, तबाही के लिए कौन जिम्मेदार?
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