मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को वैशाली में बने नवनिर्मित बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का भव्य लोकार्पण किया. दुनिया भर के करीब 15 देशों से आए बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों की उपस्थिति ने इस ऐतिहासिक कार्यक्रम को वैश्विक स्वरूप दे दिया.
72 एकड़ में फैला बिहार का सबसे भव्य बौद्ध स्थल
राजस्थान के गुलाबी और लाल पत्थरों से निर्मित यह विशाल स्तूप 72 एकड़ भूमि में फैला है, जिसे 550.48 करोड़ रुपये की लागत से भवन निर्माण विभाग ने तैयार किया है. इस स्तूप के भीतर एक साथ 2,000 बौद्ध भिक्षु ध्यान और पूजा कर सकते हैं. यहां बुद्ध की अस्थि कलश की प्रतिष्ठा की गई है, जो इसे वैश्विक बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए विशेष तीर्थ स्थल बनाती है. यह स्थान न केवल अध्यात्म का केंद्र बनेगा, बल्कि बिहार के पर्यटन मानचित्र में भी बड़ा योगदान देगा.
संग्रहालय में क्या है खास?
भव्य मुख्य स्तूप
मेडिटेशन सेंटर और ध्यान भवन
गेस्ट हाउस, सभागार और प्रदर्शनी स्थल
बुद्ध कालीन कला और दर्शन को समर्पित स्थायी गैलरी
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संग्रहालय के समीप स्थित ऐतिहासिक अभिषेक पुष्करणी झील के सौंदर्यीकरण कार्य का शिलान्यास भी किया. इस कार्य पर 29 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. यह वही पौराणिक झील मानी जाती है, जहां भगवान बुद्ध के वैशाली आगमन पर उनका अभिषेक किया गया था. अब इसका नवीनीकरण वैशाली की ऐतिहासिक विरासत को नया जीवन देगा.
2019 में रखी गई इस परियोजना की नींव, आज जब साकार हुई है तो यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट के पूरे होने का प्रमाण मिल गया. हालांकि निर्माण कार्य में कोरोना और 2021 के जलजमाव के चलते देरी हुई, लेकिन अब उद्घाटन को लेकर यह स्थान दुल्हन की तरह सजाया गया.
वैशाली को मिली नई पहचान
गौतम बुद्ध का वैशाली से गहरा नाता रहा है. यहीं उन्होंने अंतिम प्रवचन, भिक्षुणी संघ की स्थापना और कई महत्वपूर्ण संवाद किए. इस संग्रहालय के माध्यम से वैशाली को अब एक वैश्विक बौद्ध आस्था केंद्र के रूप में नई पहचान मिलेगी. बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय न केवल बिहार का गौरव है, बल्कि यह सम्यक दर्शन, सम्यक आचरण और सम्यक जीवन की प्रेरणा भी बनकर उभरेगा.