Yoga Day 2025: शिव को आदियोगी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म के अनुसार भोलेनाथ ही प्रथम योगी माने जाते हैं. कहा जाता है कि शिव जी ने ही सष्टि को योग का ज्ञान दिया और आज वही योग पूरी दुनिया में चिकित्सा के एक प्रभावी आयाम के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है.हर साल 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है.
शास्त्रों के अनुसार शिव कहते हैं मनुष्य पशु है’ – इस पशुता को समझना ही योग और तंत्र का प्रारंभ है. योग में मोक्ष और परमात्मा प्राप्ति के मार्ग छिपे हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं शिव जी से जुड़े 4 योगासन जो व्यक्ति को सदा निरोगी रखने में सहायक हैं.
लिंग मुद्रा
लिंग मुद्रा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘प्रतीक’ या ‘रूप’, जो लिंग का प्रतिनिधित्व करता है. यह मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित करने के लिए जानी जाती है. यह मुद्रा शरीर में अग्नि तत्व को संतुलित करने के लिए जानी जाती है. इस मुद्रा के अभ्यास से अस्थमा, बढ़ता वजन, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी समस्या को दूर करने में मददगार है.
हनुमानासन
हनुमान जी भोलेनाथ के ही अवतार हैं. जिस तरह हनुमान जी बेहद बलशाली थे, उसी तरह इस आसन की मदद से आप भी अपनी हडि्डयों को मजबूत कर सकते हैं. यह दिमाग को शांत करता है और मानसिक तनाव से राहत दिलाता है. इससे व्यक्ति का चित्त एक स्थाई रूप से काम करने में मददगार होता है.
शांभवी मुद्रा
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने देवी पार्वती को यह मुद्रा सिखाई थी, जोकि स्त्री शक्ति को सक्रिय करता है. यह मुद्रा शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाने में मदद करती है. इस निरंतर अभ्यास से व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने में सफलता पाता है.
नटराजासन
शिव शंकर का एक और नाम नटराज भी है इसलिए इसे नटराज आसान नाम दिया गया है.ये सृष्टि की प्रचुरता का प्रतीक है.नटराजासन योग का जिक्र प्राचीन शास्त्रों में भी मिलता है, जिसको दिनचर्या का हिस्सा बनाकर योगी-ऋषि शरीर को स्वस्थ और स्वस्थ रखा करते थे. इसे डांसर पोज के तौर पर भी जाना जाता है. इसके जरिए मानसिक एकाग्रता बढ़ती है,शरीर संतुलित होता है.
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